असली गुनहगारों को डीएम कैसे दिलाएंगे सजा..
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सुलतानपुर : लखनऊ- वाराणसी फोरलेन(एनएच- 56) निर्माण में किसानों से ली गई भूमि के बदले मुआवजा देने के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। पहले एनएचएआइ के नोटिस से किसानों में उबाल आया, अब खातों में गई ज्यादा धनराशि की वसूली के आदेश को लेकर वे ¨चतित हो गए हैं। मामले में नए सिरे से रणनीति बनाने में अब वे जुट गए हैं। जरूरत पड़ी तो अदालत का दरवाजा भी वे खटखटाएंगे, पर उन्हें यह दर्द अवश्य सता रहा है कि असली गुनाहगारों को जिलाधिकारी कैसे दंड दिला पाएंगे..। दरअसल मुआवजा वितरण में बड़े स्तर पर धांधली की गई है।
ऐसे हुआ घपला
राजस्व कर्मियों व सक्षम प्राधिकारियों की मिलीभगत से अधिग्रहित भूमि के मूल्य निर्धारण में व्यापक स्तर पर मनमानी की गई है। शनिवार को डीएम को सौंपी गई तीन सदस्यीय जांच रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है। जिलाधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। एनएच - 56 मार्ग 75 गावों से होकर गुजर रहा है। 36 गावों में बाईपास बनाया जा रहा है। सर्किल रेट तय करने के चार श्रेणी हैं। 1-राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की भूमि 2-प्रांतीय राजमार्ग 3- संपर्क मार्ग 4- अन्य मार्ग । जिन गावों से होकर बाईपास का निर्माण हो रहा है, वहां की जमीनों का मूल्य चौथी श्रेणी में तय न कर राष्ट्रीय राजमार्ग के सर्किल रेट के अनुसार बैनामा करा किसानों के खाते में मुआवजे की धनराशि भेज दी गई। इस तरह खातों में ट्रांसफर किए गए अधिक पैसों का जिम्मेदारों ने बंदरबांट कर सरकारी खजाने को चूना लगाया।
प्रशासन से जंग लड़ने को तैयार किसान
अभियांखुर्द के श्याम करन पांडेय व राम शिरोमणि पांडेय, अभियांकला के शिवकरन शुक्ल और मानिकपुर बरासिन के राजमणि वर्मा कहते हैं कि किसानों ने सड़क बनाने के लिए जमीन दी । मुआवजे की राशि तय करने की जिम्मेदारी प्रशासन की थी। हजारों किसानों के खातों में पैसा गया तो उसके लिए जवाबदेही उन्हीं की है जिन कर्मचारियों व अफसरों ने भूमि का रेट निर्धारित किया। दंड भी उन्हें ही दिया जाना चाहिए।
कोट
- किसानों के खातों में पैसा गया है, इसलिए उनसे वसूली की जाएगी। गड़बड़ी के लिए जो कर्मचारी व अधिकारी दोषी हैं उन पर कार्रवाई जरूर होगी।
विवेक, जिलाधिकारी सुलतानपुर