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...यहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी करता पशुओं का इलाज

कर्मियों की कमी से यूं तो आए दिन अस्पताल में ताला लटका रहता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 10:05 PM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 10:05 PM (IST)
...यहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी करता पशुओं का इलाज

...यहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी करता पशुओं का इलाज

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सुलतानपुर: कर्मियों की कमी से यूं तो आए दिन अस्पताल में ताला लटका रहता है। प्रभारी चिकित्सक की मात्र यहां तैनाती है। वह मनमर्जी आते-जाते हैं। जब अस्पताल खुलता भी है तो चपरासी पशुओं का इलाज करता है। ऐसा तब है जबकि सूचना पट पर मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को यहां चिकित्सक के बैठने का दिन निश्चित है। 1998 में हुई थी स्थापना पशुपालकों की सुविधा के लिए 1998 में शंभूगंज कस्बे में पशु चिकित्सालय की स्थापना की गई। चिकित्सालय में एक चिकित्सक, फार्मासिस्ट व दो अन्य कर्मचारियों की तैनाती की व्यवस्था है, लेकिन चपरासी जगन्नाथ यादव को छोड़कर यहां किसी की तैनाती नहीं है। उधार के चिकित्सक के भरोसे अस्पताल संचालित किया जा रहा है। चार साल पहले डा. रुद्रेश यादव के स्थानांतरण के बाद केनौरा पशु अस्पताल के चिकित्सक को यहां का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। जर्जर हो गए आवास लाखों की लागत से चिकित्सक के साथ ही कर्मचारियों के रहने के लिए आवास बनाया गया। किसी के निवास न करने से यह जर्जर हो गया है। चहारदीवारी भी धराशायी हो गई है। चपरासी से इलाज करा लो, मैं कल मिलूंगा सर्वीपुर के पशुपालक आनंद गाय का इलाज कराने आए, वह लौट गए। सकरसी के दिलीप भी गाय को दिखाने आए थे। चिकित्सक के न मिलने पर उन्हें फोन किया तो बताया कि जगन्नाथ से इलाज करा लो, मैं कल मिलूंगा। स्थाई रूप से मैं केनौरा में तैनात हूं। साथ ही शंभूगंज का अतिरिक्त चार्ज भी मेरे पास है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अस्पताल में मौजूद रहता है। -डा. सुरेश चंद्र भारती, पशु चिकित्साधिकारी


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