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ग्लोबल वार्मिंग से बचाएगा बुद्ध का उपदेश

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By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 10:19 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 06:24 AM (IST)
ग्लोबल वार्मिंग से बचाएगा बुद्ध का उपदेश
ग्लोबल वार्मिंग से बचाएगा बुद्ध का उपदेश

सुलतानपुर : समय के प्रवाह में बौद्ध धर्म, दक्षिण पूर्व एशिया के परिप्रेक्ष्य में विषय पर संत तुलसीदास पीजी कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के अंतिम दिन रविवार को जुटे शिक्षाविदों ने कहा कि दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है। यदि पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों को बचाना है तो इसमें महत्मा बुद्ध के उपदेश कारगर हो सकते हैं। वे कहते थे कि मनुष्य, पशु-पक्षी और अन्य जीव जंतु के साथ पेड़-पौधों को संरक्षण देना चाहिए। इसके लिए उन्होंने अनुशीलन सिद्धांत पर जोर दिया था।

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डॉ.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष प्रो.अजय प्रताप सिंह ने कहा कि आज पूरा संसार ग्लोबल वार्मिंग से चितित है। ऐसे में बु्द्ध के सिद्धांत व उनके उपदेश को विस्मृत नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा था कि जैसा मैं हूं वैसे ही अन्य प्राणी भी हैं। न किसी को मारो और न मारने की अनुमति दो। बुद्ध जातक कथाओं में सैकड़ों बोधिसत्वों का उल्लेख है। भारतीय अनुसंधान परिषद के सदस्य हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा कि बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद बौद्ध धर्म के अलग-अलग पंथ बन गए, लेकिन उनके अनुयाइयों को दी गई आर्यसत्य, अष्टांगिक मार्ग, दसपारमिता एवं पंचशील की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। प्रयाग केंद्रीय विवि के प्रो.आरके त्रिपाठी ने केएनआई के प्राचार्य डॉ.राधेश्याम सिंह, राणा प्रताप पीजी कालेज हिदी विभागाध्यक्ष डॉ.इंद्रमणि कुमार, राजा मोहन ग‌र्ल्स पीजी कालेज अयोध्या की डॉ.प्रज्ञा मिश्रा ने तथागत के जीवन चरित्र, बौद्ध धर्म की उत्पत्ति व विकास, समाज व संस्कृति एवं पर्यावरण पर समालोचनात्मक विचार प्रस्तुत किए। बौद्ध धर्म का इतिहास दर्शन, समाजिक चितन का व्यवहारिक स्वरूप विषय पर डॉ.एमसी गुप्ता व डॉ.महेंद्र पाठक ने प्रकाश डाला। काशी हिदू विवि के डॉ.रविशंकर, हर्षवर्धन शोध संस्थान प्रयागराज के डॉ.प्रदीप कुमार केसरवानी ने भी व्याख्यान दिए। इस दौरान आरआरपीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ.त्रिवेणी सिंह, डॉ.उमाशंकर सिंह ने भी संबोधित किया।


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