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कूड़ा जलाकर हो रहा जनस्वास्थ्य से खिलवाड़

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By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 10:38 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 10:38 PM (IST)
कूड़ा जलाकर हो रहा जनस्वास्थ्य से खिलवाड़

संवादसूत्र, सुलतानपुर : जगह-जगह कूड़े का ढेर शहर की पहचान बन गई है। सवा लाख की आबादी वाले शहर क्षेत्र में 25 वार्ड से निकलने वाले तकरीबन दस टन कूड़ा का निस्तारण तक नगर परिषद नहीं कर पाता। सार्वजनिक स्थलों पर इसे पहले डंप किया जाता है। बाद में किसी तरह उसे ठिकाने लगा दिया जाता है।

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गोमती नदी के किनारे, चुनहा में गभड़िया नाले के पास कूड़े के ढेर लगाए जाते हैं। शास्त्रीनगर, विवेकनगर, करौंदिया, ओमनगर आदि मोहल्लों के खाली प्लाट कूड़ाघर में तब्दील हैं। यहां से जब अर्से तक कूड़ा की उठान नहीं हो पाती तो सफाई कर्मी इसमें आग लगा देते हैं। कूड़े का जलाया जाना अब आम चलन हो गया है। मोहल्ले के लोग कूड़ा जलाने से सेहत को होने वाले नुकसान से अंजान हैं। कूड़ा जलने से उठने वाली दुर्गन्ध आदि से लोग परेशान होते हैं, पर उठान न होने से आजिज लोग कूड़ा जलाने का विरोध नहीं कर पाते हैं। नगर परिषद प्रशासन के पास शहर से बाहर दो एकड़ का सौरमऊ में एक डं¨पग स्थल है। बीते दिनों जिले के नोडल अधिकारी और वित्त सचिव अजय कुमार शुक्ला ने डं¨पग स्थल चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं। पर इस पर कोई ठोस पहल फिलहाल नहीं हुई है और कूड़े का जलाया जाना बदस्तूर जारी है।

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विशेषज्ञ मानते हैं आबोहवा के लिए घातक

विशेषज्ञों का मानना है कि कूड़ा जलाया जाना शुद्ध आबोहवा के लिए बेहद घातक है। डॉ.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्यन केंद्र के विभागाध्यक्ष डॉ.जसवंत ¨सह ने बताया कि कूड़ा जलाने से सूक्ष्म कणों का प्रदूषण ठोस और तरल बूंदों के मिश्रण के रूप में होता है। माइक्रोमीटर 2.5 तक के कण सांस के जरिए शरीर में पहुंचकर हृदय और फेफड़े की बीमारी पैदा करते हैं। कूड़ा जलाने से कार्बन मोनोआक्साइड और सल्फरडाइ आक्साइड गैसें बड़ी मात्रा में निकलती हैं। जो मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं।


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