अधूरे रह गए बिटिया के हाथ पीले करने के सपने
करीब आठ साल पहले खरगीपुर निवासी जगन्नाथ पाल की लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।
दिनेश पांडेय, चांदा (सुलतानपुर) आज से ठीक पच्चीस दिन बाद जिस आंगन में शहनाई व बैंड बाजे बजने वाला थे, वहां मातम छा गया है। विवाह के मंगल गीत की जगह परिवारजन की चीखे सुनाई पड़ रही है। यह भयावह मंजर देख कर हर आने जाने वालों के मुंह से बरबस निकल पड़ता है कि आखिर अब बिटिया संजू के हाथ कैसे पीले होंगे..।
करीब आठ साल पहले खरगीपुर निवासी जगन्नाथ पाल की लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। पति के इलाज में सबकुछ गवां देने के बाद पत्नी धरमादेवी ने गरीबी के आगे हार नहीं मानी। उसने लोगों के घरों में चौका बर्तन साफ कर उससे होने वाली आमदनी से परिवार का भरण-पोषण ही नहीं किया बल्कि दो बेटियों की शादी भी कर दी। अब तीसरी बेटी के हाथ पीले करने के लिए 25 नवंबर को बारात आनी थी, लेकिन काल को कुछ और ही मंजूर था। शनिवार की सुबह वह लोगों के घर से दैनिक कार्य निपटाकर वापस अपने घर जा रही थी। कादीपुर की तरफ से एक मिट्टी लाद कर आ रहे डंपर ने उसके सारे अरमानों को रौंद दिया। परिवार के मुखिया की असमय मौत हो जाने से बिटिया की शादी में व्यवधान उत्पन्न हो गया है। संजू की शादी पच्चीस नवंबर को तय है।