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..जुर्म कबूला तो आसान हुई सजा, पेरोल पर छोड़ा

सुलतानपुर : कहासुनी व छीनाझपटी के एक प्रकरण में 15 वर्ष बाद न्यायालय में जुर्म कबूलने पर अदालत ने ए

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 09:56 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 09:56 PM (IST)
..जुर्म कबूला तो आसान हुई सजा, पेरोल पर छोड़ा
..जुर्म कबूला तो आसान हुई सजा, पेरोल पर छोड़ा

सुलतानपुर : कहासुनी व छीनाझपटी के एक प्रकरण में 15 वर्ष बाद न्यायालय में जुर्म कबूलने पर अदालत ने एक वर्ष की सजा एवं पीड़ित को 15 हजार रुपये प्रतिकर दिलाकर मुकदमा समाप्त कर दिया। आरोपित ने भी खुशी-खुशी तत्काल 15 हजार रुपये न्यायालय में जमा कर दिए।

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मामला सात फरवरी 2004 का है। थाना बल्दीराय के देहली बाजार के विश्वनाथ पुत्र रामशब्द का घर के सामने पैरा रखने को लेकर विवाद हो गया। आरोपी कुंता देवी ने मुकदमा दर्ज कराया कि आरोपी ने फावड़े से पुत्री सीमादेवी को मारा। पुलिस मामले में मुकदमा दर्ज कर आरोपपत्र न्यायालय में पेश किया। मामला अपर मुख्य दंडाधिकारी पूनम सिंह के न्यायालय में चला। न्यायालय में आरोपी ने स्वीकार किया कि कहासुनी हुई थी, लेकिन मैंने मारा नहीं। फावड़ा वहां रखा था इनको लग गया। न्यायालय ने माना कि भारतीय ग्रामीण परिवेश में थाने पर सूचना देने की कार्यशैली को हम सभी भलीभांति परिचित हैं। इस प्रकरण में पुलिस चाहती तो थाने से ही प्रकरण को समाप्त करा सकती थी। न्यायालय ने आरोपित को दोषी मानते हुए लिखा कि प्रकरण का विचारण 15 वर्ष से चल रहा है। ग्रामीण परिवेश में पड़ोसियों के मध्य संबंधित किस्म की घटनाएं दिन-प्रतिदिन देखने-सुनने को मिलती रहती है। अभियुक्त को जेल भेजने, इसके दुधमुंहे बच्चों का भविष्य प्रभावित हो सकता है। भारतीय संविधान एवं उच्चतम न्यायालय की मंशा है कि सुलभ न्याय दिलाया जाए। प्रकरण में तथ्यों, साक्ष्यों, नैसर्गिक, स्वभाविक, सहज, विश्वसनीय मानते हुए आरोपित को जेल न भेजकर पेरोल पर छोड़ने का आदेश पारित किया। प्रतिकर में से 12750 रुपया पीड़ित को दिया जाएगा।

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