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चिहित 25 हजार 850 पशुपालक, केसीसी मात्र 150 को

पशुपालकों को केसीसी नहीं जारी हो सकी है। विभाग ने कहा कि बैंक शाखाओं का सहयोग नहीं मिल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 12:07 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 05:10 AM (IST)
चिहित 25 हजार 850 पशुपालक, केसीसी मात्र 150 को

सुलतानपुर : पशुधन को बढ़ावा देने और दुग्ध उत्पादन के जरिए पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार की योजना परवान नहीं चढ़ रही है। पशुपालकों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए उन्हें केसीसी जारी किए जाने की प्रक्रिया सुस्त है। जिले में अब तक मात्र 150 पशुपालकों को ही केसीसी जारी हो सकी हैं।

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खेती को रसायनिक खादों और कीटनाशकों से मुक्त रखने और जैविक खेती की ओर किसानों की रुझान बढ़ाने के लिए पशुपालन प्रमुख जरिया है। इसके जरिए किसान दोहरा लाभ पा सकेंगे। फसलों को गोबर की देशी खाद तो मिलेगी ही साथ ही दुग्ध व्यवसाय कर उन्हें आर्थिक उन्नति का भी मौका मिल सकेगा। इसी के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने पशुपालकों को किसान का दर्जा देते हुए पांच से अधिक पशु पालने वालों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने की व्यवस्था की है। इसके तहत प्रथम चरण में जिले के 25 हजार 850 पशुपालकों को केसीसी जारी किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। जारी होने वाले केसीसी पर पशुपालक को एक साल में अधिकतम तीन लाख रुपये का ऋण सिर्फ चार फीसद सालाना ब्याज दर पर मुहैया होगा। जिले में महिष और गोवंशों की संख्या तकरीबन छह लाख 78 हजार है। इतनी बड़ी संख्या में मवेशियों के होने के बावजूद पशुपालकों को केसीसी जैसी आधारभूत सुविधा नहीं मिल पा रही है। इस बाबत मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. रामशंकर सिंह ने स्वीकार किया कि केसीसी जारी होने की गति काफी सुस्त है। बैंक शाखाएं पशुपालकों को सहयोग नहीं कर रही हैं। अग्रणी बैंक के प्रबंधक को व्यवस्था में सुधार के लिए लिखा गया है।


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