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यातायात संकेतक न डिवाइडर, बढ़ रहे सड़क हादसे

सुलतानपुर : गड्ढायुक्त बदहाल सड़कों पर जान हथेली पर रखकर वाहन दौड़ाते चालकों के साथ कब हादसा हो जाए कु

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 12:36 AM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 12:36 AM (IST)

सुलतानपुर : गड्ढायुक्त बदहाल सड़कों पर जान हथेली पर रखकर वाहन दौड़ाते चालकों के साथ कब हादसा हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। जिले से गुजरने वाले तीनों हाइवे पर औसतन प्रत्येक तीसरे दिन वाहन दुर्घटना होती है। जिनमें न सिर्फ जाने जाती हैं, बल्कि जख्मी होने वाले लोगों की खासी तादाद होती है। बावजूद इसके जिम्मेदार शुतुरमुर्गी नींद में हैं। यातायात नियमों के पालन के लिए न कहीं यातायात संकेतक हैं और न ही कहीं डिवाइडर। दिनों दिन हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं।

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स्कूल-कॉलेजों के पास डिवाइडर व संकेतक नदारद

जिले के उत्तरी छोर पर फैजाबाद-इलाहाबाद हाइवे पर सरहद से सटा कूरेभार कस्बा हो या फिर दक्षिणी छोर पर अमेठी-प्रतापगढ़ का सीमावर्ती प्रतापगंज अथवा लखनऊ-वाराणसी हाईवे पर पश्चिमी छोर पर स्थित रवनिया-अलीगंज व पूर्वी छोर पर कोइरीपुर-चांदा बेदूपारा का इलाका। सड़क हादसे कहीं न कहीं होते ही रहते हैं। लखनऊ-वाराणसी हाईवे पर जिले की सीमा में डेढ़ दर्जन से कम भीड़ भरे गांव व कस्बे नहीं हैं। बेसिक स्कूलों व कॉलेजों की तादाद करीब दो दर्जन होगी। बावजूद इसके न कहीं यातायात संकेतक हैं और न ही डिवाइडर बनाए गए हैं। बस एक मामूली सी धुंधली डिवाइडर पट्टी ही इसका एहसास दिलाती है। अलीगंज, इस्मलामगं, बधुआकलां, हनुमानगंज, कामतागंज, लम्भुआ, चांदा जैसे बड़े कस्बों में प्रतिमाह कोई बड़ा हादसा हो ही जाता है। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और राहगीर तेज रफ्तार, नियमों को दर किनार कर चल रहे वाहनों की चपेट में आते हैं। बावजूद इसके न तो कहीं ट्रैफिक सिग्नल है और न ही यातायात पुलिस ही मुस्तैद दिखती है।

वर्षों से जर्जर हैं प्रमुख सड़कें

सुलतानपुर से अखंडनगर, मोतिगरपुर, दोस्तपुर, कादीपुर व बल्दीराय, धनपतगंज जाने वाले मार्गों की वर्षों से मरम्मत तक नहीं हुई है। कटका-मायंग-धनपतगंज-देहली बाजार मार्ग इस कदर बदतर है कि साइकिल तक नहीं चल पाती। फुटपाथों का तो अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। यही हाल कुड़वार मार्ग का है। ¨सगल ट्रैक की इन सड़कों पर आए दिन दुपहिया वाहनों में ही भिड़ंत होती है। चार पहिया वाहनों की टक्कर से बड़े हादसे होते हैं। आक्रोशित लोग सड़क जाम कर प्रदर्शन करते हैं। अफसर समझाते बुझाते हैं, लेकिन नतीजा सिफर रहता है। जिम्मेदार लोक निर्माण विभाग सिर्फ सड़कों की पै¨चग कराकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ ले रहा है।

ये हैं ब्लैक स्पॉट

-टांटिया नगर चौराहा : फैजाबाद-इलाहाबाद बाईपास पर स्थित यह स्थल दुर्घटना बहुल क्षेत्र के रूप में लोनिवि, पुलिस व परिवहन महकमे की फाइल में दर्ज है।

-अमहट चौराहा : लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिला मुख्यालय के पश्चिमी छोर पर स्थित यह स्थल भी आए दिन हादसों का गवाह बनाता है।

-वेदूपारा : लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित वेदूपारा गांव वह जगह है जहां अंधा मोड़ व क्रॉ¨सग होने की वजह से हादसे होते रहते हैं, लेकिन कोई भी पर्याप्त इंतजाम जिम्मेदार महकमों की ओर से नहीं किए गए हैं।

ये हैं मानक

शासन से निर्देश है कि ब्लैक स्पॉट स्थलों पर पुलिस, परिवहन, प्रशासन व लोक निर्माण विभाग के लोगों को सतत निगरानी रखनी होगी। इन स्थानों पर सुबह से शाम तक कोई न कोई कर्मी गश्त करता रहे। आउट पोस्ट बनाई जाए। लोनिवि के मेट इन स्थलों पर तैनात किए जाएं तो बैनर आदि के जरिए लोगों को दुर्घटना बहुल क्षेत्र होने की जानकारी कराते रहें। जिससे वाहनों की रफ्तार पर अंकुश लग सके।

महज औपचारिकता बनीं सड़क सुरक्षा की बैठकें

करीब डेढ़ दशक पहले जिले में सड़क सुरक्षा परिषद का गठन किया गया। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित इस काउंसिल में परिवहन, पीडब्ल्यूडी, पुलिस समेत महकमों के जिम्मेदार अधिकारी तो हैं ही साथ ही समाज के जागरूक व सामाजिक संस्थाओं के जिम्मेदार लोगों को जगह दी गई है। परिषद की बैठक प्रत्येक छह माह पर होनी चाहिए, लेकिन कब ये बैठकें होती हैं और इनका क्या नतीजा निकलता है कुछ पता नहीं।


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