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सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से मिल रही सस्ती बिजली

पिछले वर्ष बिजली की दरों में वृद्धि के बावजूद प्रदेश के ग्रामीण उपभोक्ताओं को 100 यूनिट तक 3.0 रुपये प्रति यूनिट 100 से 150 यूनिट तक 3.50 रुपये प्रति यूनिट तथा 150 से 300 यूनिट तक 4.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से ही भुगतान करना पड़ रहा है

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 07:24 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 09:34 PM (IST)
सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से मिल रही सस्ती बिजली

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : गतवर्ष बिजली की दरों में वृद्धि के बावजूद प्रदेश के ग्रामीण उपभोक्ताओं को सौ यूनिट तक 3.0 रुपये प्रति यूनिट, सौ से 150 यूनिट तक 3.50 रुपये प्रति यूनिट तथा 150 से 300 यूनिट तक 4.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से ही भुगतान करना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे सस्ते दरों में बिजली आपूर्ति के लिए उत्पादन निगम की इकाइयों से हो रही सस्ती बिजली उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इतने कम टैरिफ के बावजूद उत्पादन निगम की इकाइयां प्रदेश सरकार को लाभ की स्थिति में रख रही हैं। प्रदेश के सरकारी सेक्टर के विद्युत घरों की बिजली काफी सस्ती होनेनसे प्रदेश सरकार को भारी बचत हो रही है। खासकर ग्रामीण अंचलों में सस्ती बिजली आपूर्ति की मंशा भी पूरी हो जा रही है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की इकाइयों सहित सरकारी सेक्टर की इकाइयों का फिक्सड कास्ट काफी कम होने के कारण बिजली की दरें निजी क्षेत्र के बिजली की दरों से काफी कम है। यही नहीं बिजली की वैरिएबिल कास्ट के मामले में भी सार्वजनिक इकाइयां निजी क्षेत्र की कई नई परियोजनाओं को मात दे रही हैं। ऐसे में प्रदेश में निजीकरण के साथ मेरिट आर्डर डिस्पैच को लेकर ट्रेड यूनियनों का सवाल उठाना लाजिमी है। लगातार सस्ती बिजली पैदा कर रहीं सार्वजनिक इकाइयां

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खत्म हुए वित्त वर्ष 2018-19 के अंतिम मार्च माह में उत्पादन निगम की इकाइयों ने सस्ती बिजली पैदा कर ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं के राहत के लिए बड़ी भूमिका निभाई है। पावर कारपोरेशन के अनुसार गत मार्च में अनपरा बी से रुपया 1.75 प्रति किलोवाट, अनपरा अ से रुपये 2.29, अनपरा डी से 2.81, ओबरा ब तापघर से 2.38 प्रति किलोवाट बिजली उत्पादित हुई। वहीं निजी बिजली घरों में ललितपुर बजाज का रुपये 5.09 प्रति किलोवाट, रोजा का 4.39 तथा बारा का 3.71 प्रति किलोवाट रहा, जो ग्रामीण टैरिफ से ज्यादा है। इन दरों में अगर फिक्स्ड कास्ट देखा जाए तो अनपरा बी का 0.43 प्रति किलोवाट, अनपरा अ से 0.71, अनपरा डी से 1.55 एवं ओबरा ब तापघर से 0.66 प्रति किलो वाट रहा, जो निजी बिजली घरों में ललितपुर पावर के फिक्स्ड कास्ट 2.24 प्रति किलोवाट सहित कई निजी विद्युत घरों से काफी कम है। वैरिएबल कास्ट देखा जाए तो अनपरा बी का 1.31 प्रति किलोवाट, अनपरा अ से 1.58,अनपरा डी से 1.26 एवं ओबरा ब तापघर से 1.71 प्रति किलोवाट रहा। वहीं निजी बिजली घरों में ललितपुर बजाज का रुपया 2.85 प्रति किलोवाट,रोजा का 2.83 तथा बारा का 2.29 प्रति किलोवाट रहा। मेरिट आर्डर डिस्पैच पुनर्समीक्षा की मांग

सरकारी सेक्टर की बिजली के काफी सस्ता होने के बावजूद निजी बिजली घरों की बिजली खरीदने को लेकर विरोध पिछले कई वर्षों से जारी है। खासकर फिक्स्ड कास्ट को नजरअंदाज कर वैरिएवल कास्ट के आधार पर बिजली खरीदने को लेकर भी ट्रेड यूनियनों ने लगातार नाराजगी जताई है। उल्लेखनीय है कि मेरिट आर्डर डिस्पैच के अन्तर्गत बिजली खरीदने के क्रम की एक अनुसूची बनाई गई है जो बिजली घरों से उत्पादित होने वाली बिजली की वैरिएबिल कॉस्ट के अनुक्रम में है। जबकि विद्युत गृहों से जो बिजली खरीदी जाती है उसमें वैरिएबिल कॉस्ट के अतिरिक्त फिक्स्ड कॉस्ट का भी भुगतान करना पड़ता है। फिक्स्ड कॉस्ट और वैरिएबिल कॉस्ट जोड़ देने के बाद निजी क्षेत्र से खरीदी जाने वाली बिजली काफी महंगी पड़ती है जबकि राज्य के सरकारी क्षेत्र की ताप बिजली घरों की फिक्सड कॉस्ट बहुत कम है और इनके राज्य सरकार के अधीन होने के नाते इन्हें फिक्सड कॉस्ट का भुगतान करने का भी कोई दबाव नहीं रहता है। अभियंता संघ के क्षेत्रीय सचिव इं.अदालत वर्मा ने बताया कि यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार के बिजली घरों की बिजली सबसे सस्ती पड़ती है। मेरिट ऑर्डर डिस्पैच की पुनर्समीक्षा कर राज्य सरकार के बिजली घरों से सर्वोच्च प्राथमिकता पर बिजली ली जानी चाहिए। बताया कि निजी घरानों से बिजली लेने के नाम पर किसी भी परिस्थिति में राज्य सरकार के विद्युत गृहों का न तो उत्पादन बंद किया जाए और न तो कम किया जाय।


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