शहरी बाबू तो बस नाम के, गंवई लोग ज्यादा जागरूक
कामन इंट्रो.. शहरी बाबू तो बस नाम के, गंवई लोग तो ज्यादा जागरूक हैं। यह हम नहीं खुद सरकारी आंक
कामन इंट्रो..
शहरी बाबू तो बस नाम के, गंवई लोग तो ज्यादा जागरूक हैं। यह हम नहीं खुद सरकारी आंकड़े कह रहे हैं। शौचालय निर्माण से लेकर उसके प्रयोग तक गांव के लोग शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से अधिक जागरूक दिखते हैं। दैनिक जागरण अभियान के तहत इस बात की पुष्टि भी हुई। नगरीय इलाकों में जहां अलसुबह खुले में शौच करने वालों की संख्या सबसे अधिक देखने को मिली तो वहीं इसके उलट ग्रामीण क्षेत्रों में जो गांव ओडीएफ हो चुके हैं वहां पर एक-दो को छोड़कर अधिकांश ग्रामीण शौचालय का प्रयोग करते हैं। यह आंकड़े अपने आपमें गांव व शहर में जागरुकता की कहानी बयां कर रहे हैं। जागरण संवाददाता, सोनभद्र : स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले के सात नगर पंचायत व एक नगरपालिका में छह हजार 73 शौचालयों का निर्माण किया जाना था। जिसके सापेक्ष 31 जुलाई तक नगरीय निकायों में दो हजार 492 शौचालयों का ही निर्माण हो सका। जो लक्ष्य के सापेक्ष महज 41 प्रतिशत ही है। इसके उलट ग्रामीण अंचलों में एसबीएम के तहत दो लाख 43 हजार 235 शौचालयों का निर्माण किया जाना था। जिसमें अब तक एक लाख 92 हजार 226 शौचालयों का निर्माण पूरा हो चुका है, जो लक्ष्य के सापेक्ष 79.02 प्रतिशत है। इस लिहाज से देखा जाय तो ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण की गति नगरीय इलाकों से बेहतर स्थिति में है। दो अक्टूबर तक जिले को ओडीएफ घोषित करना है, इसलिए नगरीय व ग्रामीण इलाकों में बन रहे शौचालय निर्माण की गति को तेज करने की जरूरत है। 108 वार्डों के सापेक्ष 87 ओडीएफ
जिले के एक नगरपालिका व सात नगर पंचायतों को मिलाकर कुल 108 वार्ड हैं। जिसमें से अब तक 87 वार्डों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। नगर पंचायत रेणुकूट, पिपरी व चोपन के सभी क्रमश: 11, 12 व 11 वार्ड पूरी तरह से खुले में शौचमुक्त हैं। इसके उलट जिला मुख्यालय की नगर पालिका राबर्ट्सगंज के 25 वार्डों में अब तक 16 वार्ड ही ओडीएफ हुए हैं। यहां नौ वार्ड के अधिकांश लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। इसी तरह दुद्धी नगर पंचायत के 11 वार्ड के सापेक्ष नौ वार्ड ही ओडीएफ हैं। ओबरा के 18 के सापेक्ष 16 वार्ड ओडीएफ हैं। चुर्क के दस वार्ड में अभी तक छह वार्ड ही खुले में शौच मुक्त हुए हैं। इसी तरह घोरावल नगर पंचायत के दस के सापेक्ष छह वार्ड ओडीएफ हैं।
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नगरीय क्षेत्र में शौचालय का लक्ष्य : 6073
नगरीय क्षेत्र में बने शौचालय : 2492
लक्ष्य के सापेक्ष प्रतिशत : 41
ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय का लक्ष्य : 243235
ग्रामीण क्षेत्र में बने शौचालय : 192226
लक्ष्य के सापेक्ष प्रतिशत : 79.02
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पूजा की पहल से खुली महिलाओं की आंख
सोनभद्र : गंदगी से पटे गांव में जागरुकता के साथ स्वच्छता में अपने गांव को पहचान दिलाने की पहल करने वाली पूजा का नाम अब लोगों की जुबां पर है। सदर ब्लाक के सेमर गांव की यह दलित समाज की बेटी अपने समाज से बाहर निकलकर कुछ नया करने की सोची, और कर दिखाया। उसने सबसे पहले न सिर्फ गांव के लोगों की सोच बदलकर गांव को ओडीएफ कराया बल्कि उन्हें समाज की मुख्य धारा से भी जोड़ने का भी काम किया। जिले मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर सदर ब्लाक के सेमर गांव निवासी पूजा ने कुछ ऐसा ही किया। बारिश का मौसम हो या फिर कोई और ग्रामीण अंचल में महिलाओं के लिए शौच के लिए जाना किसी बड़े दुश्वारी से कम नहीं है। इसके अलावा लड़कियों के साथ अक्सर छेड़छाड़ की घटनाएं भी होती थी। यह सब बात पूजा के मन को हमेशा कचोटती थी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जैसे ही शौचालय निर्माण गांव में शुरू हुआ तो उसने अलसुबह उठकर महिलाओं को खुले में शौच न जाने की बात समझाना शुरू किया। पूजा ने बताया कि पहले तो उसे घर के लोगों ने इसके लिए मना किया लेकिन धीरे-धीरे वह लोग मान गये। गांव की महिलाओं का भी साथ मिला, जिसके कारण पूरे जिले का तीसरा ओडीएफ गांव सेमर हुआ। मार्निंग फालोअप में पूजा की भागीदारी देखकर एसबीएम से जुड़े अधिकारियों ने उसे प्रोत्साहित किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि आज पूजा हर ब्लाक में गांव-गांव जाकर महिलाओं को शौचालय प्रयोग के लिए जागरूक कर रही है।
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घर की महिलाओं की समस्या ने किया जागरूक
सोनभद्र : नगर पालिका राबर्ट्सगंज के वार्ड एक निवासी रामबली ने घर की महिलाओं को खुले में शौच करते देख शौचालय निर्माण कराने की ठानी। आएदिन हो रही समस्याओं और घर की महिलाओं द्वारा बार-बार शौचालय के लिए दबाव बनाने के बाद उन्होंने इसके लिए प्रयास किया। रामबली ने बताया कि शौचालय निर्माण के बाद से काफी राहत हुई। बताया कि बारिश के मौसम में यहां पर अक्सर जल जमाव हो जाता है, जिसके कारण हमेशा किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती थी। आसपास के लोगों के साथ कई बार ऐसा हुआ भी, जिसके बाद अपने घर में शौचालय निर्माण की बात मैंने ठानी। खुद के शौचालय निर्माण के बाद दलित बस्ती में अधिकांश घरों के लोगों को इसके लिए जागरूक भी किया। बताया कि शुरू में कुछ समस्याएं हुई लेकिन धीरे-धीरे इसमें वार्ड की महिलाओं का साथ मिलता गया, जिसके कारण आज पूरे बस्ती के लोग शौचालय का प्रयोग करते हैं।