Move to Jagran APP

अपने पर भरोसा करना सिखाया पिताजी ने

समय के साथ चलें और हर स्पर्धा में अपने पर भरोसा रखें। यह हमारे पिता की प्रमुख बातों में एक हुआ करती थी। उनका कहना था कि सच्चे मन से मेहनत करने से बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 10:58 PM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 10:58 PM (IST)
अपने पर भरोसा करना सिखाया पिताजी ने
अपने पर भरोसा करना सिखाया पिताजी ने

(पूर्वज, वैद्यनाथ दुबे)

loksabha election banner

समय के साथ चलें और हर स्पर्धा में अपने पर भरोसा रखें। यह हमारे पिता की प्रमुख बातों में एक हुआ करती थी। उनका कहना था कि सच्चे मन से मेहनत करने से बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। इसके पीछे कारण यह था कि दादाजी के व्यवहार का पिताजी के जीवन पर ज्यादा प्रभाव रहा। चूंकि, हम भी उसी परिवेश में पले-बढ़े, इसलिए हमारे स्वभाव पर दोनों लोगों का गहरा प्रभाव पड़ा। पिताजी के सानिध्य का असर है कि हमारे बीच किसी प्रकार की वैमनस्यता नहीं उपजी। समाजसेवा की भावना को भी पिता ने हमें बखूबी समझाया। पिताजी के बताये रास्ते पर चलकर ही हम जीवन में आगे बढ़ रहे हैं।

-प्रकाश दुबे, राब‌र्ट्सगंज, सोनभद्र।

-------------------------

ईमानदार स्वभाव को आज करते हैं याद

(पूर्वज, गो¨वद दास)

समाज सेवा के क्षेत्र में पूज्य पिता का अहम योगदान रहा। वर्ष 1995 में उन्हें घोरावल नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए चुना गया। कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू व्यक्तित्व के रूप में उन्हें आज भी याद किया जाता है। उन्होंने जीवन के अंतिम क्षण तक नि:स्वार्थ समाज सेवा की। आज हम जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, वह पिता जी की प्रेरणा का ही प्रतिफल है। उनके पद चिन्हों पर चलने का प्रयास जारी रखना ही हमारे लिए उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

- राजीव कुमार, वार्ड सात घोरावल नगर पंचायत, सोनभद्र। -------------------------

परोपकार को सबसे बड़ा बताया फलदायी

(पूर्वज, स्व. जयश्री प्रसाद)

मैं आज जिस मुकाम पर हूं। उसके सूत्रधार मेरे स्व. पिताजी हैं। उनकी एक बात हमेशा प्रेरणा देती है। किसी का बुरा मत करना। ईश्वर पर हमेशा भरोसा रखना। निश्चित ही सभी मुश्किलों से निजात मिल जाएगी। उन्होंने परोपकार को सबसे बड़ा पुण्य फलदायी बताया था। आज भी उनकी बातें जेहन में बनी रहती है। हम सभी परिजन उनके बताये मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं। इससे असीम शांति प्राप्त होती है। वास्तव में उनकी कही बातें अटल सत्य हैं।

- नीरज कनौजिया, वार्ड पांच, दुद्धी नगर पंचायत, सोनभद्र।

-------------------------

श्राद्ध पक्ष.. पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का पर्व। नई पीढ़ी में पूर्वजों के प्रति आस्था के जागरण का पर्व। पूर्वजों की पुण्यस्मृति का पर्व। उनके संस्मरणों के पुन: स्मरण और संस्कारों के अनुपालन-अनुशीलन का पर्व। उनकी विरासत-थाती को संजोने के संकल्प का पर्व।

श्रद्धा और आस्था के इस पावन पर्व पर आइये अपने पूर्वजों का स्मरण करें। अगर आप भी उनकी स्मृतियों को संजोना चाहते हैं तो हमें लिख भेजें।

ह्यश्रठ्ठ@1ठ्ठह्य.द्भड्डद्दह्मड्डठ्ठ.ष्श्रद्व

अधिकतम 100 शब्दों में पूर्वजों के स्मरण के साथ फोटो और अपना परिचय भी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.