तालाब की खोदाई तक सिमटा भूमि संरक्षण
जनपद के बहुत बड़े हिस्से में पठारी भूमि फैली हुई है। इसपर बड़ी संख्या में किसान खेती करते हैं लेकिन भूमि अपरदन से बचाव के लिए भूमि संरक्षण विभाग के पास शासन
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जनपद के बहुत बड़े हिस्से में पठारी भूमि फैली हुई है। इस पर बड़ी संख्या में किसान खेती करते हैं, लेकिन भूमि अपरदन से बचाव के लिए भूमि संरक्षण विभाग के पास शासन से बजट न मिलने से इस पर काम नहीं हो रहा है। यह विभाग बस तालाब की खोदाई तक ही सिमट कर रह गया है। भूमि संरक्षण विभाग को शासनस्तर से कृषि विभाग में मर्ज करने की योजना चल रही है।
जिले में काफी संख्या में ऊसर भूमि है। इनको खेती करने के लायक बनाने के लिए भूमि संरक्षण विभाग की तरफ से मेड़बंदी का काम पूर्व में किया जाता रहा है। जिससे की बरसात के दिनों में पानी को संरक्षित करके फसलों को नष्ट करने से बचाया जा सके। जिले में सबसे अधिक उबड़-खाबड़ जमीन दक्षिणांचल के म्योरपुर, बभनी, चोपन, राबर्ट्सगंज के अलावा नगवां ब्लाक क्षेत्रों में है। लेकिन, भूमि अपरदन से बचाव के कोई उपाय न होने से हालात यह है कि खेतों की फसल बरसात के दिनों के नष्ट हो जाती है। इधर कई वर्षों से शासन स्तर से बजट न मिलने के चलते पठारी भूमि को अपरदन से बचाने के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा है। भूमि संरक्षण विभाग तालाब की खुदाई तक ही सिमटकर रह गया है। वर्ष 2018-19 में शासन स्तर से पांच लाख 25 हजार रुपये तालाब खुदाई के लिए धन आया था, जिसके बाद विभाग की तरफ से घोरावल ब्लाक के डोमखरी व सरवट गांव में दो तालाब व बिसरेखी गांव में एक तालाब की खुदाई की गई है। प्रति तालाब एक लाख पांच हजार रुपये की धनराशि खुदाई के लिए मिला था। इसमें 50 फीसद अनुदान किसानों को मिलता है। वर्ष 2019-20 में 12 लाख 15 हजार धनराशि 20 तालाबों की खुदाई के लिए आया है। इसमें से 14 तालाबों की खुदाई भी शुरू हो गई है। ''दो साल से सिर्फ तालाब खुदाई के लिए ही शासन स्तर से धन मिला है। भूमि की मेड़बंदी के लिए बजट नहीं मिल रहा है। शासन स्तर से भूमि संरक्षण विभाग को कृषि विभाग में मर्ज करने का काम चल रहा है।''
-अपर्णा सिंह, भूमि संरक्षण अधिकारी।