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एनजीटी के आदेश से खनन क्षेत्र में मचा हड़कंप

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) द्वारा बिल्ली-मारकुंडी सहित जनपद के तमाम खनन क्षेत्रों की 100 से ज्यादा पत्थर व बालू खदानों पर रोक लगाने से आदेश के बाद हड़कंप मच गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 05:06 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 08:59 PM (IST)
एनजीटी के आदेश से खनन क्षेत्र में मचा हड़कंप
एनजीटी के आदेश से खनन क्षेत्र में मचा हड़कंप

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) द्वारा बिल्ली-मारकुंडी सहित जनपद के तमाम खनन क्षेत्रों की 100 से ज्यादा पत्थर व बालू खदानों पर रोक लगाने के आदेश के बाद हड़कंप मच गया है। फिलहाल पट्टा धारक अभी एनजीटी के आदेश को लेकर ऊहापोह में हैं लेकिन संभावना है कि जल्द जिला प्रशासन इस आदेश को लेकर प्रभावी कदम उठाएगा। इसके साथ ही सूत्रों का कहना है कि जल्द ही एनजीटी की टीम खनन क्षेत्रों का औचक दौरा भी कर सकती है। बुधवार को पूरे खनन क्षेत्र में एनजीटी के आदेश को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। गत कुछ वर्षों से लगातार बंदी की मार झेल रहे पत्थर उद्योग में इस आदेश के बाद 90 फीसद से ज्यादा खनन क्षेत्र पूरी तरह बंद हो जाएंगे। बताते चलें कि एनजीटी ने बिल्ली-मारकुंडी सहित जनपद के अन्य खनन क्षेत्रों में मौजूद 100 से ज्यादा खनन पट्टों को अवैध मानते हुए उन्हें तत्काल प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है। एनजीटी ने उच्चतम न्यायालय के गोवा फाउंडेशन वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया मामले में दिये गये आदेश के परिपेक्ष्य में दिया है। 13 जुलाई को दिए गए आदेश में बिल्ली-मारकुंडी में डोलो स्टोन व लाइम स्टोन के 80 खनन पट्टों, बर्दिया और ¨सदुरिया की 15 और कोटा, रेड़िया, गुरुदह, ससनई, करगरा, मीतापुर, बड़गवा व पटवध की 15 बालू खदानों को तत्काल बंद करने का आदेश दिया है। इनमें दर्जनों खदानों की लीज अवधि पूरी भी हो चुकी है। इसके अलावा सलखन, बहुआर, दुगौलिया, हिनौती एवं जुलाली में सैंड स्टोन की खदानों को भी इको सेंसटिव जोन के तहत कैमूर वन्यजीव प्रभाग में होने पर बंद करने का आदेश दिया है। इस आदेश से प्रभावित पत्थर वाली कुल 118 खदानों में 42 खदानों की लीज अवधि पूरी हो चुकी है। 25 हजार मजदूरों पर लटकी बेरोजगारी की तलवार

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बिल्ली-मारकुंडी सहित कई अन्य क्षेत्रों की पत्थर खदानों की एनजीटी द्वारा बंदी के आदेश को लेकर बुधवार को अफरा-तफरी का माहौल रहा। एनजीटी का आदेश अगर प्रभावी हुआ तो खदानों में कार्य करने वाले 25 हजार से ज्यादा मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे। आदेश के बाद खनन क्षेत्र में सियापे जैसी स्थिति पैदा हो जायेगी। फिलहाल लगभग 25 हजार मजदूरों को रोजगार देने वाले खनन क्षेत्र में लगातार गिर रहे गाज के कारण कई सामाजिक संकट पैदा होने की संभावना बन गयी है। आदिवासी बाहुल्य जनपद में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले खनन क्षेत्र में आदेश के प्रभावी होने पर भारी आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो जायेगी। कुल मिलाकर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर खदान बंदी का लोगों पर असर पड़ेगा। इसके अलावा गिट्टी के मूल्य में भी भारी वृद्धि हो जाएगी। विकास कार्यो पर पड़ सकता है असर

डोलोमाईट, लाइम स्टोन के साथ सैंड स्टोन की ज्यादातर खदानों के बंद होने का तगड़ा असर विकास कार्यो पर पड़ेगा। खासकर सड़क निर्माण पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्ग सहित प्रदेश के राजमार्गो से जुड़ी कई बड़ी परियोजनाएं पूर्वी उत्तर प्रदेश में चल रही हैं। जिनमें ज्यादातर गिट्टी की आपूर्ति सोनभद्र के खनन क्षेत्रों से ही होती है। एनजीटी के आदेश से सोनभद्र से जाने वाली 90 फीसद से ज्यादा गिट्टी आपूर्ति प्रभावित होगी। जिसके वजह से विकास कार्यों में व्यवधान के साथ कार्यों की लागत भी बढ़ने की आशंका रहेगी।


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