आनंद को जागृत करने का सबसे सरल मार्ग शास्त्र
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : राबर्ट्सगंज स्थित इमरती कालोनी में चल रहे श्रीमछ्वागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह के चौथे दिन सोमवार को शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराजश्री ने बताया कि यदुवंश में मथुरा नगरी के एक राजा हुए जिनका नाम था शूरसेन। उन्हीं के वंश में आगे चलकर वसुदेव हुए और पत्नी देवकी हुई। उनके गर्भ से सात पुत्र पैदा हुए और आठवें पुत्र के रूप में साक्षात परमानन्द स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए। यदुवंश में जन्म लेने के कारण श्रीकृष्ण को यदुवंशी कहते हैं। उन्होंने अपने जन्म लीला के द्वारा सम्पूर्ण पृथ्वी को धन्य कर दिया। महान पु
जासं, सोनभद्र : राबर्ट्सगंज स्थित इमरती कालोनी में चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह के चौथे दिन सोमवार को शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ ने बताया कि यदुवंश में मथुरा नगरी के एक राजा हुए। जिनका नाम था शूरसेन। उन्हीं के वंश में आगे चलकर वसुदेव हुए और उनकी पत्नी देवकी हुईं। उनके गर्भ से सात पुत्र पैदा हुए और आठवें पुत्र के रूप में साक्षात परमानन्द स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए। यदुवंश में जन्म लेने के कारण श्रीकृष्ण को यदुवंशी कहते हैं। उन्होंने अपने जन्म लीला के द्वारा सम्पूर्ण पृथ्वी को धन्य कर दिया। ऐसे ही महान पुरुष जन्म लेकर सबको धन्य करते हैं। जीवन के हर क्षेत्र में हमारा आनन्द बना रहे, हमारा सौंदर्य बना रहे। कहा कि शास्त्र आनंद को जागृत करने का सबसे सरल मार्ग है।
स्वामीजी ने बताया कि मनुष्य के हृदय में छिपे हुए सच्चिदानंद के भाव को जागृत करने के लिए आध्यात्मिक गुरु का उपदेश जरूरी होता है। इस मौके पर शिव प्रसाद पांडेय, पारस नाथ पांडेय, ओम प्रकाश पांडेय, राममणि सारस्वत, अमर नाथ तिवारी, नागेश्वर तिवारी, ¨वध्याचल मिश्र, पवन यादव, लालता पाठक आदि रहे।