बेहतर इलाज को अब तक तरस रही आबादी
जासं रामगढ़ (सोनभद्र) स्वास्थ्य सेवाओं को मुकम्मल करके हर व्यक्ति को स्वस्थ्य बनाने का स्वास्थ्य म
जासं, रामगढ़ (सोनभद्र): स्वास्थ्य सेवाओं को मुकम्मल करके हर व्यक्ति को स्वस्थ्य बनाने का स्वास्थ्य महकमा भले ही दावा करता है लेकिन, हकीकत कुछ और ही है। देश के 115 आकांक्षी जिलों में शामिल आदिवासी बाहुल्य सोनभद्र के नगवां व चतरा क्षेत्र में करीब सवा लाख की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए बन रहा तियरा सीएचसी आज एक एक दशक से निर्माणाधीन है। अब तक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, बावजूद इसके यहां पर 30 बेड रखने के मुकम्मल इंतजाम नहीं है।
जी हां, इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे। जिस भवन में मरीजों का इलाज होता था उसे यह कहते हुए गिरा दिया गया कि अब यहां नया भवन बनेगा। लेकिन निर्माण के लिए मिली धनराशि खर्च होने के बाद भी अब तक काम पूरा नहीं हो सका। बात हो रही है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तियरा (चतरा) की। करीब सवा लाख की आबादी को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाले इस अस्पताल को उच्चीकृत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में तब्दील करने का प्रस्ताव करीब एक दशक पहले भेजा गया था। उसी आधार पर वर्ष 2009 में शासन स्तर से इसके निर्माण की स्वीकृति मिली। खींचतान के बीच 2011 में निर्माण शुरू किया और पुराने भवन को गिरा दिया गया। निर्माण की जिम्मेदारी राजकीय निर्माण निगम को मिली। काम भी शुरू किया गया लेकिन उसे अंजाम तक ले जाने की बजाय घालमेल कर दिया गया। नतीजा हुआ कि कई हिस्से काम आज भी अधूरा है। ऐसे में लोगों का इलाज वहां शेष बचे दो-तीन कमरों में ही कराया जा रहा है। सीएचसी निर्माण में होने वाले कार्य
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से उच्चीकृत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए शासन से मिली स्वीकृति के हिसाब से दो मंजिला भवन बनाया जाना है। उसमें ओपीडी के लिए अलग कक्ष, इमरजेंसी के लिए कक्ष, आपरेशन थियेटर, प्रसव कक्ष, महिला वार्ड, चिकित्सकों व कर्मियों के रहने के लिए आवास आदि का निर्माण कराया जाना है। इसके लिए शासन से करीब तीन करोड़ 62 लाख रुपये शासन से मिले। खेल के कारण फेल हुआ हिसाब-किताब
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो सीएचसी तियरा का निर्माण कार्य कार्यदायी संस्था की मनमानी और धांधली के कारण हुआ। बताया जाता है कि जिस समय निर्माण चल रहा था उसी समय विभागीय अधिकारियों ने निरीक्षण कर कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाया था। इसके बाद मंडलायुक्त व जिलाधिकारी ने भी इसका निरीक्षण किया था और शीघ्र निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था के लोगों को कहा था। बावजूद इसके कार्य न करने वाले कार्यदायी संस्था के अधिकारियों पर एफआइआर भी कराया जा चुका है। एक नजर में स्थिति
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2009 में पीएचसी से सीएचसी स्वीकृत हुआ।
2011 में निर्माण कार्य शुरू कराया गया।
2014 तक कच्छप गति से कार्य चलता रहा।
30 बेड का बनाया जाना है सीएचसी।
3.66 करोड़ रुपये है अस्पताल की लागत।
2012 में बनकर तैयार होना था अस्पताल का भवन।