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मानवता के स्कूल में संवर रहा आदिवासियों का भविष्य

रेणुकूट के काली मंदिर के पास की रहने वाली रेनू देवी की पढ़ाई लिखाई बिल्कुल नहीं हो सकी। ऐसे में वह अपना नाम भी नहीं लिख पाती थीं। शादी के बाद परिवार में गृहणी का काम करने लगीं तो आधी जिदगी गुजर गई। लेकिन अब समझ में आया है साक्षर होना जरूरी है। कहीं भी जाने पर अंगुठा लगाते समय झेंपना पड़ता है

By JagranEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 06:34 PM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 06:34 PM (IST)
मानवता के स्कूल में संवर रहा आदिवासियों का भविष्य
मानवता के स्कूल में संवर रहा आदिवासियों का भविष्य

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : रेणुकूट के काली मंदिर के पास की रहने वाली रेनू देवी की पढ़ाई-लिखाई बिल्कुल नहीं हो सकी। ऐसे में वह अपना नाम भी नहीं लिख पाती थीं। शादी के बाद परिवार में गृहिणी का काम करने लगीं तो आधी जिदगी गुजर गई लेकिन, अब समझ में आया है साक्षर होना जरूरी है। कहीं भी जाने पर अंगूठा लगाते समय झेंपना पड़ता है। इसी दौरान मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण संगठन के लोगों से मुलाकात हुई। फिर क्या इनके घर पर जाकर इस संगठन से जुड़ी तीन युवतियों ने साक्षर बनाया। अब जहां अंगूठा लगाती थी वहां हस्ताक्षर करती हैं। बच्चों को ककहरा सिखाने भर की भाषा भी सीख चुकी हैं।

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रेनू की तरह एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने मानवता के स्कूल में पढ़कर साक्षर होने का गौरव हासिल किया। इतना ही नहीं रेणुकूट व आस-पास के करीब तीन दर्जन ऐसे बच्चे हैं जिनका भविष्य मानवता के स्कूल में संवर रहा है। उनका भविष्य संवारने में कोई प्रशिक्षित शिक्षक नहीं बल्कि उसी इलाके की रहने वाली तीन युवतियां हैं। रेणुकूट के शिवापार्क में प्रत्येक रविवार को संचालित होने वाले इस स्कूल में आस-पास के गरीब बच्चे आते हैं। ऐसे बच्चे जो किसी कोचिग सेंटर में नहीं जा सकते, घर पर पढ़ाने के लिए उनके माता-पिता ट्यूशन नहीं लगा सकते। इन बच्चों को अक्षर ज्ञान से लेकर उनके कोर्स से संबंधित वे पाठ भी पढ़ाए जाते हैं जिनमें बच्चे पिछड़ रहे होते हैं। अब आगे स्कूल न जाने वाले बच्चों का दाखिला भी कराने की तैयारी है। खुद के साथ दूसरे के भविष्य की चिता

रेणुकूट की रहने वाली पूजा कुमारी इस मानवता के स्कूल की शिक्षक हैं। अभी 12वीं कक्षा में पढ़ती हैं। कहती हैं रविवार के दिन छुट्टी रहती है। इस लिए बच्चों के बीच पहुंकर उन्हें कुछ अच्छी बातें बताने में मन को अच्छा लगता है। वहीं शालिनी गुप्त इन बच्चों को योग सिखाती हैं। पूजा सिंह भी अपनी पढ़ाई के बाद खाली समय में बच्चों के भविष्य को लेकर चितित रहती हैं। कहती हैं आज के बच्चे कल के भविष्य हैं। वहीं इस संगठन के जिलाध्यक्ष संदीप बताते हैं कि हमारा प्रयास है कि आदिवासी बच्चों का भविष्य संवरे। हर व्यक्ति शिक्षित हो, साक्षर हो इस लिए शिवापार्क में मानवता का स्कूल संचालित करते हैं।


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