फूल बहुत है पत्थर कम है, देश साथ..
एनटीपीसी विध्याचल में कार्यकारी निदेशक देबाशीष सेन के दिशा-निर्देशन में मानव संसाधन-राजभाषा अनुभाग द्वारा कोरोना महामारी के दौर में व्याप्त नीरसता को जीवंतता प्रदान करने के लिए एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
जासं, अनपरा (सोनभद्र) : एनटीपीसी विध्याचल में कार्यकारी निदेशक देबाशीष सेन के दिशा-निर्देशन में मानव संसाधन-राजभाषा अनुभाग द्वारा आनलाइन काव्य गोष्ठी हुई। महाप्रबंधक (मानव-संसाधन) उत्तम लाल ने कहा कि कोरोना जनित महामारी के बचाव एवं उसके उपाय को तलाशने में सभी लोग लगे हैं।
गोष्ठी का संचालन कर रहे कवि योगेंद्र मिश्रा ने फूल बहुत है, पत्थर कम है, देश साथ है फिर क्या गम है.. की प्रस्तुति कर लोगों का दिल जीत लिया। शुभारंभ वरिष्ठ प्रबंधक (एनटीपीसी मेजा) मुरली मनोहर श्रीवास्तव की सरस्वती वंदना हे मां वाणी में ओज दो.. की प्रस्तुति से हुई। सहायक प्रबंधक (मानव संसाधन) नेहरू शताब्दी चिकित्सालय जयंत कोरल वर्मा ने वक्त के खजाने से थोड़ा वक्त मिल भी जाए तो क्या है इतनी ताकत की वो मुझे अतीत में ले जाए.. को सुनाकर भाव विभोर कर दिया। एसडीओ वन रेणुकूट मनमोहन मिश्रा ने जो मेरे गीतों का एक-एक पेज है, दर्द का मेरे वो दस्तावेज है। डा. धर्म प्रकाश मिश्र ने बड़े भाग्य मानव तन पाया, इससे हाथ न धोना है। यही प्रार्थना सजग रही तुम, दुश्मन काल कोरोना है प्रस्तुति किया। नागेश सांडिल्य ने देखता हूं जब कभी अपनी हथेली, तथा बस्ते की बोझ वाली कविता की प्रस्तुति की। मऊ के पंकज प्रखर ने घनघोर तिमिर को भेद यहां, नवगीतों का स्वर छंद बनो, हे भारत के युवा सिपाही उठो विवेकानंद बनो को.. सुनाकर वाहवाही लूटी। अपर महाप्रबंधक एनटीपीसी झज्जर डीसी शर्मा ने जो सरहद पर सिपाही दिखाई दे रहा है, सच का कद ही लंबा दिखाई दे रहा है। मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने रोज इस उम्मीद के साथ उठता हूं की, दुनिया बदल जाएगी सुनाया। डा. ईश्वरचंद त्रिपाठी ने सत्य पर आवरण नहीं होता, वक्त का आचरण नहीं होता, आंसुओं ने बताया आंखों को, दर्द का व्याकरण नहीं होता की प्रस्तुति कर माहौल को खुशनुमा कर दिया।
महाप्रबंधक (प्रचालन) अनिल कुमार ने लेती नहीं दवाई अम्मा, जोड़े पाई-पाई अम्मा.. कविता सुनाकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। संचालन सहायक प्रबन्धक (मानव संसाधन) पीआरओ एलएम पांडेय ने किया।