सूतक में 15 घंटे 30 मिनट बंद रहे देवालयों के पट
सोनभद्र वर्ष 2019 का अंतिम व पांचवा ग्रहण सूर्य ग्रहण पौष अमावस्या पर गुरुवार को लगा। ग्रहण शुरू होने से पहले और बाद में कुल मिलाकर 15 घंटे 30 मिनट तक जिले के विभिन्न मंदिरों के दरवाजे बंद रहे। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद लोगों ने स्नान ध्यान करके दान किया। कोहरे के बीच लोगों ने ग्रहण काल में सूर्य को देखने के लिए लोग काफी उत्सुक नजर आए। हालांकि कम ही लोग देख सके।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : वर्ष 2019 का अंतिम व पांचवा ग्रहण सूर्य ग्रहण पौष अमावस्या पर गुरुवार को लगा। ग्रहण शुरू होने से पहले और बाद में कुल मिलाकर 15 घंटे 30 मिनट तक जिले के विभिन्न मंदिरों के दरवाजे बंद रहे। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद लोगों ने स्नान, ध्यान करके दान किया।
अमावस्या तिथि गुरुवार को थी। इसी दिन 8 बजकर 20 मिनट पर सूर्य ग्रहण लगा। सूर्य के मूल नक्षत्र व धनु राशि पर ग्रहण का स्पर्श सुबह आठ बजकर 20 मिनट पर शुरू हुआ। 9 बजकर 40 मिनट पर ग्रहण का मध्य रहा उसके बाद धीरे-धीरे ग्रहण समाप्त होने लगा और 11 बजकर 13 मिनट तक पूरी तरह से ग्रहण समाप्त हो गया यानी मोक्ष हो गया। राबर्ट्सगंज नगर के कचहरी रोड पर स्थित वीरेश्वर महादेव मंदिर, मेन चौक के पास का शीतला माता मंदिर, पिपरी रोड का शिव मंदिर, सीएमओ कार्यालय के पास का रामजानकी मंदिर, संकट मोचन हनुमान मंदिर सहित अन्य मंदिरों के पट बंद रहे। यहां सुबह के समय की आरती, पूजन, श्रृंगार आदि भी नहीं हुआ। ज्योतिषाचार्य डा. एसके शास्त्री ने बताया कि सूर्य ग्रहण में ग्रहण काल शुरू होने से 12 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है। मोक्ष के बाद ही सूतक समाप्त होता है। यानी बुधवार की रात करीब आठ बजे ही सूतक लग गया था। इस लिए मंदिरों के पट बंद कर दिए गए। गुरुवार को दिन में 11 बजकर 30 मिनट के बाद पट खोले गए। नहीं किया भोजन, रखा खास ख्याल
ग्रहण के दौरान सूतक लगता है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान वृद्ध, बालक व रोगियों को छोड़कर किसी को भोजन नहीं करना चाहिए। इस लिए ज्यादातर लोगों ने भोजन सुबह के समय नहीं किया। सूतक काल समाप्त होने के बाद ही लोगों ने स्नान किया, भगवान का ध्यान लगाया और दान करके भोजन ग्रहण किए। इस दौरान गर्भवती महिलाएं अपना खास ख्याल रखती हैं। न देखो, न देखो.. आंख खराब हो जाएगी
सूर्य ग्रहण के दौरान ग्रहण काल में सूर्य को देखने के लिए बच्चों में ज्यादा उत्साह नजर आया। घने कोहरे के कारण सुबह से तो लग रहा था कि ग्रहण यहां दिखेगा ही नहीं। लेकिन जब कोहरा कम हुआ तो कई बच्चे नंगी आखों से ही देखने लगे। ऐसे में उनके परिवार के लोग, बड़े बच्चे यह कहते नजर आए कि न देखो नंगी आंख से। वरना आंख खराब हो जाएगी। वैज्ञानिक कारण माना जाता है कि पृथ्वी व सूर्य के बीच जब चंद्रमा आ जाता है तो उस समय सूर्य ग्रहण लगता है। इस परिस्थिति में सूर्य पूरी तरह से ढक जाते हैं। लेकिन बाहर की ओर एक रिगनुमा आकृति बन जाती है। जिसे कोरोना मंडल कहा जाता है। इस मंडल से निकलने वाली किरणों की तीव्रता अधिक होती है। इस लिए नंगी आंखों से देखना नुकसानदायक होता है।