1986 की घटना से सबक लेते तो नहीं होता अग्निकांड
ओबरा परियोजना में फायर फाइटिग सिस्टम लागाने में देरी के मामले में दो अभियंताओं पर हुयी कारवाई के बाद और आक्रोश बढ़ गया है।
जासं, ओबरा (सोनभद्र) : ओबरा परियोजना में फायर फाइटिग सिस्टम लगाने में देरी के मामले में दो अभियंताओं पर हुई कारवाई के बाद और आक्रोश बढ़ गया है। मंगलवार को अभियंताओं के प्रदेशव्यापी आन्दोलन के दूसरे दिन विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति की सभा के दौरान प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। संघर्ष समिति ने वर्तमान में बिना सुरक्षा के चल रही इकाइयों को लेकर उर्जा प्रबंधन पर सवाल उठाया। कहा कि इकाइयों की स्थापना से ही फायर प्रोटेक्शन सिस्टम नहीं लगा था।वर्ष 1986 की अग्निकांड की घटना से भी निगम प्रबंधन ने सबक नहीं लिया। अगर उस घटना के बाद फायर फाइटिग सिस्टम लगाया गया होता तो 14 अक्टूबर की घटना नहीं होती। ऐसे में 14 अक्टूबर को पुन: केबिल गैलरी में आग लगने पर केवल स्थानीय अभियंताओं पर कार्रवाई करना गलत है। कहा कि अगर इस मामले में वर्तमान अधिकारी दोषी हैं तो फायर प्रोटेक्शन सिस्टम न लगाने के लिए 1986 से लेकर अब तक निगम प्रबंधन में कार्य कर चुके उच्चाधिकारी दोषी क्यों नहीं होंगे।
वक्ताओं ने कहा कि बिजली कर्मी तमाम विपरीत परिस्थितियों में मैन, मैटेरियल एवं मनी की कमी के बावजूद सीमित संसाधनों में पूर्ण मनोयोग से 20-20 घंटे कार्य कर रहे हैं। इसके विपरीत प्रबंधन द्वेष भावना से अभियंताओं को प्रताड़ित-दंडित करने का अभियान चला रहा है। सभा को अदालत वर्मा, मनीष मिश्र, हरदेव नारायण तिवारी, रामयज्ञ मौर्य, उमेश चंद्र, दिनेश यादव, अम्बुज सिंह, कैलाश नाथ, दीपक कुमार सिंह, योगेन्द्र प्रसाद ने संबोधित किया। इस दौरान मुख्य अभियन्ता कृष्ण मोहन, आरपी सक्सेना, अधीक्षण अभियन्ता मनोज सक्सेना, दूधनाथ यादव, एचएन पांडेय, सुनील कुमार सहित सहित सैकड़ों की संख्या में अभियन्ता तथा कर्मचारी मौजूद रहे।