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बेदखली आदेश के खिलाफ खटखटाएंगे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

रखने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने देश के बीस लाख से ज्यादा आदिवासी परिवारों की पुश्तैनी वन भूमि से बेदखली का आदेश दिया है। कुछ संगठनों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में वनाधिकार कानून को खत्म करने के लिए जनहित याचिका दाखिल की गयी और केन्द्र सरकार के वकील याचिका के समय उपस्थित ही नहीं हुए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 05:39 PM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2019 05:39 PM (IST)
बेदखली आदेश के खिलाफ खटखटाएंगे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
बेदखली आदेश के खिलाफ खटखटाएंगे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

जासं, सोनभद्र : केंद्र सरकार की लचर पैरवी और अपना पक्ष न रखने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने देश के बीस लाख से ज्यादा आदिवासी परिवारों की पुश्तैनी वन भूमि से बेदखली का आदेश दिया है। कुछ संगठनों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में वनाधिकार कानून को खत्म करने के लिए जनहित याचिका दाखिल की गई और केंद्र सरकार के वकील याचिका के समय उपस्थित ही नहीं हुए। आदिवासी वनवासी महासभा वन निवासियों के बेदखली आदेश के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट जाएगी।

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यह बातें बुधवार को मजदूर किसान मंच और आदिवासी वनवासी महासभा की रासपहरी कार्यालय पर चली दो दिवसीय बैठक में स्वराज अभियान के राज्य कार्यसमिति सदस्य दिनकर कपूर ने कहीं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के अस्तित्व और अस्मिता दोनों पर हमला किया जा रहा है। संविधान के विरूद्ध जाकर आदिवासी धांगर के अस्तित्व को ही प्रदेश सरकार ने मिटाने का काम किया। अब तक कोल को आदिवासी का दर्जा नहीं मिला। आदिवासी समाज के लिए प्रदेश में लोकसभा की एक सीट तक आरक्षित नहीं है। बैठक में 9 मार्च को जनमुद्दों पर आयोजित होने वाले सम्मेलन की तैयारी पर भी चर्चा हुई और यह फैसला लिया गया कि इसमें बड़ी संख्या में हिस्सेदारी की जाएगी। इस मौके पर राजेन्द्र प्रसाद गोंड़ कृपाशंकर पनिका, मंगरू प्रसाद श्याम, इंद्रदेव खरवार आदि रहे।


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