राजकीय डिग्री कालेज बनेगा चुनावी मुद्दा
जकीय डिग्री कालेज की स्थापना नहीं हो सका है। इस बार लोकसभा चुनाव में तहसील क्षेत्र के युवा वोटर इसे चुनावी मुद्दा बनाने पर जोर दे रहे हैं। जिससे प्राइवेट स्कूल चलाने वाले लोगों की चांदी है।बताते चलें कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के बावजूद घोरावल तहसील क्षेत्र में राजकीय डिग्री कॉलेज की मांग काफी पुरानी है। लेकिन समुचित प्रयास के अभाव में तहसील मुख्यालय से लगभग 30 किमी के परिक्षेत्र में कोई राजकीय डिग्री कॉलेज की स्थापना न
जासं, सोनभद्र : घोरावल तहसील क्षेत्र में एक भी राजकीय डिग्री कालेज की स्थापना नहीं हो सकी है। इस बार लोकसभा चुनाव में तहसील क्षेत्र के युवा वोटर इसे चुनावी मुद्दा बनाने पर जोर दे रहे हैं।
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद घोरावल तहसील क्षेत्र में राजकीय डिग्री कालेज की मांग काफी पुरानी है। समुचित प्रयास के अभाव में तहसील मुख्यालय से लगभग 30 किमी के परिक्षेत्र में कोई राजकीय डिग्री कालेज की स्थापना नहीं हो सकी है। जिसके कारण छात्र-छात्राओं को प्राइवेट कालेजों की शरण लेनी पड़ती है। इसके अलावा प्राइवेट स्कूल होने के कारण वहां पर उनसे मनमाने ढंग से फीस भी वसूला जाता है। छात्रों को राजकीय डिग्री कालेज की स्थापना की दशा में फीस का बोझ काफी कम हो जाएगा। तरह-तरह के शुल्क से निजात भी मिल जाएगी लेकिन आश्चर्य कि बात यह है कि आजादी के सात दशक बाद भी इस विषय को लेकर कितने प्रयास किये गए। घोरावल तहसील क्षेत्र के सैकड़ों गांवों में आज भी शिक्षा को लेकर अलख नहीं जगाई जा सकी है। जिसके कारण आदिवासियों की शिक्षा केवल प्राथमिक स्कूल तक सिमट कर रह गई है। अब युवा वोटर राजकीय डिग्री कालेज की स्थापना को लेकर सतर्क हो चला है। आगामी लोकसभा चुनाव में राजकीय डिग्री कालेज स्थापना को लेकर मुद्दा भी बनाएगा। घोरावल तहसील क्षेत्र की युवा वोटर मनोरम, रविता, स्नेहा व संगीता जैसी छात्राओं ने भी राजकीय डिग्री कालेज की स्थापना करवाने वाले को वोट देने का मन बना चुकीं हैं।