जागरण संवाददाता, सोनभद्र: राजस्व बंदी गृह राबर्ट्सगंज में राजस्व बकाएदार सुधाकर प्रसाद दूबे की हुई मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। राबर्ट्सगंज कोतवाली पुलिस ने तहसीलदार सुनील कुमार की तहरीर पर तत्कालीन उपजिलाधिकारी राजेश कुमार सिंह व तहसीलदार बृजेश कुमार वर्मा के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। 

सुधाकर दूबे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला

तहसीलदार सुनील कुमार ने दी तहरीर में बताया है कि मेसर्स दूबे इलेक्ट्रानिक प्रोपराइटर सुधाकर दुबे यूनियन बैंक आफ इंडिया शाखा राबर्ट्सगंज सोनभद्र के लगभग 10 लाख रुपये के बकायेदार थे। 12 मई को तत्कालीन तहसीलदार बृजेश कुमार वर्मा ने बकायेदार को राजस्व बंदी गृह में निरूद्ध किया था। संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी हालत खराब हुई तो उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां से बीएचयू जाते समय उनकी मौत हो गई। 

एडीएम न्यायिक ने की थी मजिस्ट्रियल जांच

इस घटना की मजिस्ट्रियल जांच अपर जिलाधिकारी न्यायिक भानु प्रताप यादव ने की। उन्होंने 12 अक्टूबर को अपनी जांच आख्या जिलाधिकारी को दी। इसमें उन्होंने तत्कालीन तहसीलदार बृजेश वर्मा को बाकीदार की बीमारी की अवस्था में अस्पताल स्वयं न जाने व कागजी कार्यवाही करके बंदी को अस्पताल के लिए मुक्त कर दिये जाने व राजस्व कर्मियों की ड्यूटी बीमार सुधाकर के साथ नहीं लगाए जाने की रिपोर्ट दी। तहसील के अधिकारी या कर्मचारी के मृतक बाकीदार के साथ ड्यूटी पर नहीं होने, मृत्यु के बाद बाकीदार का पोस्टमार्टम न कराए जाने की भी रिपोर्ट एडीएम न्यायिक ने दी। उन्होंने मृत्यु, पोस्टमार्टम न कराने और उच्चाधिकारियों को सूचना न देने के लिए तहसीलदार को जिम्मेदार ठहराया। 

डीएम के आदेश पर हुई कार्रवाई

जांच रिपोर्ट में कहा कि तत्काली एसडीएम राजेश कुमार सिंह द्वारा पोस्टमार्टम का समुचित प्रयास नहीं किया गया। जिलाधिकारी को कोई सूचना नहीं दी गई। इस रिपोर्ट के बाद डीएम चंद्रविजय सिंह ने तहसीलदार राबर्ट्सगंज सुनील कुमार को एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया। तहसीलदार की तहरीर पर पुलिस ने तत्कालीन एसडीएम व तहसीलदार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है।

 मृतक के पुत्र ने उच्च न्यायालय में दाखिल की थी याचिका

बाकीदार सुधाकर दुबे के पुत्र नीरज दुबे ने इस घटना के बाद न्याय के लिए उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका दाखिल की थी। इसके साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकारी आयोग व अन्य उच्चाधिकारियों से शिकायत की थी। नीरज के अधिवक्ता विकास शाक्य ने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दस लाख रुपये मुआवजा और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया था। परंतु प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया। कहा कि निष्पक्ष विवेचना और दोषियों को सजा दिलाने तक यह संघर्ष जारी रहेगा।

Edited By: Nirmal Pareek