Move to Jagran APP

ओडीओपी में शामिल सोनांचल के टमाटर का विदेश तक जलवा

सबहेड.. - जिले में छह हजार हेक्टेयर में होती है टमाटर की खेती - बांग्लादेश व नेपाल की मंडियों तक पहुंचा है यहां का लाल टमाटर - दिसंबर माह में टमाटर की शुरू होगी तुड़ान किसानों की बढ़ेगी आमदनी

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 07:42 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 07:42 PM (IST)
ओडीओपी में शामिल सोनांचल के टमाटर का विदेश तक जलवा

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) में शामिल सोनांचल का लाल टमाटर विदेशों तक पहुंचकर वहां की मंडियों की शोभा बढ़ाता है। विदेशियों की थाली में सलाद का रूप लेकर यह जायके को मजेदार बना रहा है। टमाटर की खेती करने वाले किसान अपना उपज बेचकर अच्छी लागत कमाते हैं। दिसंबर के पहले व दूसरे सप्ताह में टमाटर की खेप विदेशों में जानी शुरू हो जाती है। अगर जिले में उद्योग स्थापित करा दिया जाए तो इससे हजारों लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सकता है।

loksabha election banner

जनपद में लगभग छह हजार हेक्टेयर में टमाटर खेती होती है। वैसे यहां की प्रमुख फसल धान, गेहूं और मोटा अनाज है, लेकिन बीते एक दशक से बाहरी व्यापारियों के आने से यहां पर टमाटर की खेती को बढ़ावा मिला है। करमा व मधुपुर का इलाका टमाटर की खेती के लिए प्रसिद्ध है। कोलकाता व गोरखपुर के व्यापारियों के आने से जिले का लाल टमाटर बांग्लादेश से लेकर नेपाल के मंडियों तक पहुंचा है। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते एक साल से इस पर ग्रहण लगा है। घोरावल ब्लाक के करमा क्षेत्र में सबसे अधिक करीब डेढ़ हजार हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है। एक बीघे टमाटर की खेती करने पर 20 से 25 हजार रुपये की लागत आती है। किसानों को प्रति बीघा 50 से 60 हजार रुपये की बचत भी होती है। जिले में सही बाजार और संसाधन की उपलब्धता नहीं होने के कारण किसान अपने उपज औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। हालांकि इस वर्ष प्रदेश सरकार की तरफ से जिले के टमाटर को ओडीओपी में शामिल करने से किसानों को कुछ उम्मीद है। ओडीओपी में शामिल होने के बाद से अभी तक इसको लेकर कोई पहल नहीं की गई है। किसानों का कहना है कि अगर सही बाजार और संसाधन मिले तो टमाटर के बाजार को यहां पर भी बेहतर भाव मिलेगा। उद्योग स्थापित होने से खेती को मिलेगा बढ़ावा

जिले में टमाटर की खेती करने वाले किसान मानते हैं कि केवल टमाटर की तोड़ाई कराकर बाहर भेजने से उतना लाभ नहीं होगा। अत्यधिक लाभ के लिए जिले में टमाटर से जुड़े उद्योग स्थापित कराने की जरूरत है। अगर यहां इससे टमाटर का सास बनाने का काम शुरू हो जाए तो एक तो जिले में उद्योग बढ़ेगा, रोजगार मिलेगा और टमाटर की पूछ भी शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही कोल्ड स्टोरेज का भी इंतजाम कराने की जरूरत है। इससे किसान अपने फसलों को जिले में ही बेच सके। टमाटर को ओडीओपी में शामिल करने के बाद भी किसानों को इंतजार था कि उद्योग स्थापित हो जाएगा, लेकिन अभी तक शासन से इसको लेकर कोई बजट नहीं मिला है। इसके चलते कोई उद्योग स्थापित नहीं हो पा रहा है। बोले अधिकारी..

-------------

जिले का टमाटर बांग्लादेश व नेपाल तक जाता है। कोलकाता व गोरखपुर के व्यापारी यहां के टमाटरों को ले जाकर बांग्लादेश व नेपाल के मंडियों तक बेचते हैं। हालांकि इस बार जिले में टमाटर का अच्छा रेट किसानों को मिल रहा है।

- सुनील शर्मा, जिला उद्यान अधिकारी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.