पानी की बर्बादी रोककर धरती को रखें आबाद
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : औद्योगीकरण ने लोगों को रोजगार तो दिया लेकिन साधनों पर निर्भर रहने की बढ़ती प्रवृत्ति ने पानी की समस्या उत्पन्न कर दी।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : औद्योगीकरण ने लोगों को रोजगार तो दिया लेकिन साधनों पर निर्भर रहने की बढ़ती प्रवृत्ति ने पानी की समस्या उत्पन्न कर दी। इससे मुक्ति के लिए भूमि संरक्षण विभाग बंधी व छोटे-छोटे तालाबों का निर्माण व पानी की बर्बादी रोकने के विकल्प पर लगातार काम कर रहा है।
जनपद की भौगोलिक बनावट प्रदेश के दूसरे जनपदों से भिन्न है। यहां पहाड़ों व वनों का बड़ा साम्राज्य है। जनपद में खेती योग्य भूमि की बनावट भी पठारीनुमा है। ऐसे में जल का संचयन किसानों के लिए थोड़ी समस्या बनी रहती है। किसानों के स्वयं के प्रयास से जल संचयन की प्रणाली विकसित करना काफी मुश्किल भरा होता है। भूमि संरक्षण विभाग ने कई योजनाओं के माध्यम से छोटे-छोटे तालाबों का निर्माण कराकर जल संचयन का कार्य किया है। वहीं बंधियों के निर्माण पर अधिकाधिक जोर दिया जा रहा है।
इस संबंध में भूमि संरक्षण अधिकारी अपर्णा ¨सह ने बताया कि बंधी व तालाबों के निर्माण से भूमि के अपरदन रोकने व जल को संचित किया जा सकता है। उसके बाद कुछ ऐसी जरूरतें भी हैं जिसकी बदौलत पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है। इसमें ¨सचाई के लिए स्प्रिंकलर का उपयोग शामिल है। इसके माध्यम से ट्यूबवेल व तालाबों की तुलना में 20 से 30 फीसद तक पानी को बचाया जा सकता है।