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प्रमोद यादव ने बिहार एचजेएस में लहराया परचम

जागरण संवाददाता, दुद्धी (सोनभद्र) : फर्श से अर्श तक की सफर में करने वाले अधिवक्ता प्रमोद कुमार

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 10:51 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 10:51 PM (IST)
प्रमोद यादव ने बिहार एचजेएस में लहराया परचम
प्रमोद यादव ने बिहार एचजेएस में लहराया परचम

जागरण संवाददाता, दुद्धी (सोनभद्र) : फर्श से अर्श तक की सफर में करने वाले अधिवक्ता प्रमोद कुमार यादव का बिहार उच्च न्यायिक सेवा में चयन होने से पूरे क्षेत्र में हर्ष का माहौल है। बुधवार की जारी हुई बिहार न्यायिक सेवा की सूची में श्री यादव का नाम देख उनके घर में मानों खुशियों की बरसात हो गई। हर कोई खुशी से लबरेज होकर, नवरात्र के इस पावन पर्व में सफलता पर देवी मां का धन्यवाद करता दिखा। इसके साथ ही दुद्धी तहसील के अधिवक्ताओं में भी खुशी की लहर दौड़ गई है। गुरुवार को बार सभागार में श्री यादव का अभिनंदन किया गया।

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श्री यादव की प्रारंभिक शिक्षा से लेकर एलएलबी तक की पढ़ाई तक काफी संघर्षपूर्ण रही। हालांकि इसके बाद भी घर के सभी सदस्यों ने उनका हौसला टूटने नहीं दिया और वे अपने लक्ष्य पर हमेशा अडिग रहे। इस दौरान उन्होंने सफलता हासिल की। श्री यादव ने बताया कि इसके पूर्व भी कई प्रांतों की न्यायिक सेवा में प्रतिभाग किया किन्तु कभी उनके मुकद्दर ने साथ नहीं दिया, तो कभी कागजी औपचारिकता ने उनका रास्ता रोक दिया। बताया कि सात अक्टूबर 1970 को पिपरी सोनभद्र में जन्मा।

वहीं से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद एलएलबी की पढ़ाई बीएचयू से पूरी की। इस दौरान कड़ा संघर्ष करने के साथ ही उच्च न्यायिक सेवा में जाने का मन बना लिया। इस दौरान दुद्धी कोर्ट में प्रैक्टिस करते हुए, अपनी हायर ज्यूडिशियरी की तैयारी जारी रखी। इस दौरान हमारे बुलंद हौसले को पूर्व एसडीएम डा. विश्राम (अब सिटी मजिस्ट्रेट वाराणसी) बराबर हवा देते रहे। हालांकि इस दौरान कई बार आयी आर्थिक व व्यावहारिक अड़चनें भी आयी लेकिन मैं विचलित नहीं हुआ। जिसका परिणाम रहा कि बुधवार को बिहार उच्च न्यायिक सेवा के आये नतीजों ने हमें सुकून भरा प्रतिफल दिया। जौनपुर के हैं निवासी

मूलत: ग्राम धरनीधरपुर जिला जौनपुर के निवासी पिता स्व. जगन्नाथ यादव यूको बैंक रेणुकूट में कार्यरत थे। चार भाई व एक बहन के बीच दूसरे नंबर पर रहने वाले श्री यादव के सिर पर पिता की वर्ष 2012 में मृत्यु के बाद घर की जिम्मेदारी भी आ पड़ी। इन विकट परिस्थितियों में आर्थिक व मानसिक रूप से उनका हौसला अफजाई करने में ढाल बनकर खड़ी हुईं उनकी पत्नी अनिता यादव (लेक्चरर राधिका इंस्टीट्यूट मूर्धवा) का भरपूर योगदान रहा। श्री यादव ने अपने इस उपलब्धि का श्रेय माता-पिता व पत्नी के साथ ही अधिवक्ता साथी नीरज उपाध्याय को देते हैं। उन्होंने अपनी पांच वर्षीय इकलौती बेटी सान्वी को प्रेरणास्त्रोत बताया। कहा कि कठिन दिनों में भी हमें जज बनने की वह भी हौसला देती रही।


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