खनन क्षेत्र में बंदी से पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट प्रभावित
बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में गिट्टी उत्पादन में कमी का असर रेलवे की देश की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना पर पड़ा है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में गिट्टी उत्पादन में कमी का असर रेलवे से जुड़ी देश की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर परियोजना पर पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-हावड़ा मालवाहक रेल कॉरीडोर का स्टोन संबंधी निर्माण फिलहाल कई सेक्शनों में ठप हो गया है। बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में सो¨लग उत्पादन के शून्य होने के कारण रेल कॉरीडोर को हो रही आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गई है। पिछले माह तक रेलवे के पास मौजूद 10 प्रतिशत स्टाक के भी खत्म होने के बाद पूर्व मध्य रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे के कई सेक्शनों में स्टोन सम्बन्धित काम बंद हो गया है।
इस कॉरीडोर के केवल उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद से पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर सेक्शन के बीच में बनने वाले हिस्से के लिए ही छह लाख घनमीटर गिट्टी की सप्लाई बिल्ली मारकुंडी से की जानी थी। इस कॉरीडोर के नजदीकी हिस्सों में दस लाख घनमीटर से ज्यादा की आपूर्ति का लक्ष्य सम्भावित था। यहीं नही इस कॉरीडोर के अलावा भी रेलवे के अन्य ट्रैक निर्माण में लाखों घनमीटर की नियमित आपूर्ति भी पूरी तरह प्रभावित हुई है। बिल्ली मारकुंडी से तय आपूर्ति लक्ष्य के पूरा नहीं होने को देखते हुए अब रेल कॉरीडोर के लिए रेलवे ने मध्य प्रदेश की ओर रुख किया है। मध्य प्रदेश के स्टोन क्वालिटी की जांच के बाद रेल मंत्रालय ने मध्य प्रदेश से सो¨लग सहित अन्य स्टोन मटेरियल मंगाने की अनुमति कार्यदायी संस्था डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर कॉरपोरेशन को दे दी है। सम्भावना है कि 2019 की शुरुआत में मध्य प्रदेश से गिट्टी आपूर्ति शुरू हो जाएगी। लेकिन इसके कारण कॉरीडोर निर्माण में देरी के साथ उत्तर प्रदेश को भारी राजस्व क्षति झेलनी पड़ेगी। लगभग 6974 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के निर्माण से ट्रेनों के स्पीड में काफी वृद्धि होगी। इसे 2020 तक पूरा होना है, जिसमें बिल्ली मारकुंडी में काम बंद होने की वजह देरी हो सकती है। धारा 20 का प्रकाशन नही होने से व्यवसाय हुआ प्रभावित
प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले व्यवसायिक क्षेत्रों में एक बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र को लेकर जिला प्रशासन के रवैये ने गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। प्रशासनिक विभागों की अनियमित कार्यप्रणाली की वजह से जनपद में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला व्यवसायिक क्षेत्र बंदी के कगार पर हैं। बंदी के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार धारा 20 के प्रकाशन में दिखाई जा रही सुस्ती की वजह से एक लाख से ज्यादा लोग जहां प्रभावित हुए हैं वहीं विकास कार्य को भी तगड़ा झटका लगा है। हालत यह है कि नियम अनुकूल होने के बावजूद कई खदानों को बंद रखा जा रहा है। खासकर जिस एनओसी पर व्यवसायियों ने करोड़ों रूपये खर्च कर अपना व्यवसाय खड़ा किया था उस एनओसी को देने वाले वन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों के ऊपर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की। फिलहाल अगर धारा 20 का प्रकाशन हो जाए तो राजस्व, वन और कास्त की भूमि की वास्तविकता के साथ सीमांकन स्पष्ट हो जाता। लेकिन इस मामले में जिला प्रशासन खास सक्रियता नहीं दिखा रहा है। खनन व्यवसायी नेता नन्दलाल पाण्डेय ने बताया कि जिस जिला प्रशासन की संस्तुति के बाद सभी लीजें हुईं अब उन्हीं लीजों को वहीं जिला प्रशासन बंद कर रहा है।