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एमडी के आश्वासन के बाद भी नहीं हुआ भुगतान

भारी कठिनाइयों के साथ बिजली उत्पादन कर रहे तापीय परियोजनाओं को लेकर उत्पादन निगम के निरंकुश रवैये ने परियोजनाओं के अंदर त्रासदीपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है। खासकर हजारों मजदूरों के लिए खेवनहार बने संविदाकारों के बीजकों के भुगतान में दिखाई जा रही लेट लतीफी ने हजारों ठेका मजदूरों को सामाजिक संकट की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 06:24 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 09:37 PM (IST)
एमडी के आश्वासन के बाद भी नहीं हुआ भुगतान
एमडी के आश्वासन के बाद भी नहीं हुआ भुगतान

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : भारी कठिनाइयों के साथ बिजली उत्पादन कर रहे तापीय परियोजनाओं को लेकर उत्पादन निगम के निरंकुश रवैये ने परियोजनाओं के अंदर त्रासदीपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है। खासकर हजारों मजदूरों के लिए खेवनहार बने संविदाकारों के बीजकों के भुगतान में दिखाई जा रही लेट लतीफी ने हजारों ठेका मजदूरों को सामाजिक संकट की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया है। हालत यह है कि अब संविदाकार भी भयंकर आर्थिक संकट की स्थिति में पहुंच गए हैं। संविदाकारों के दो वर्ष पुराने बीजकों का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। वर्तमान में संविदा मजदूरों का वेतन कई माह पिछड़ गया है। इसके अलावा बोनस और ईपीएफ का भुगतान तो भगवान भरोसे हो गया है। उत्पादन निगम की परियोजनाओं में संविदाकारों के दो सौ करोड़ से ज्यादा के बकाए ने जबरदस्त तकनीकि दिक्कत पैदा कर दी है। पिछले माह उत्पादन निगम के एमडी सैंथिल पांडियन सी ने दीपावली तक संविदाकारों के भुगतान की बात कही थी लेकिन ओबरा परियोजना में लगी आग के बाद बनी स्थिति में अब भुगतान की संभावना कम नजर आ रही है। खासकर प्रमुखता पर भुगतान होना फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है। बकाए की स्थिति

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उत्पादन निगम की ओबरा, अनपरा, हरदुआगंज, पनकी, परीछा तापीय परियोजनाओं के संविदाकारों के बकाए के आंकड़े पर नजर डालें तो यह दो सौ करोड़ से ज्यादा पहुंच गया है। उत्पादन निगम की सबसे बड़ी परियोजना अनपरा तथा सबसे पुरानी परियोजना ओबरा के संविदाकारों के बकाये का आंकड़ा ही 150 करोड़ के करीब पहुंच गया है। अनपरा परियोजना में संविदाकारों का बकाया सौ करोड़ के करीब हो गया है वहीं ओबरा परियोजना में भी यह आंकड़ा 50 करोड़ के करीब है। यही हाल अन्य तापीय परियोजनाओं का भी है। जून 2015 तक के बकाए अभी भी लटके हुए हैं। केवल ए प्रायरिटी का बकाया जिसमें मजदूरों के मजदूरी का बड़ा हिस्सा होता है वह 60 करोड़ तक पहुंच गया है। इसके अलावा बी प्रायरिटी जिसमें 2015 तक पुराना बकाया शामिल है। वह भी 180 करोड़ से ज्यादा हो गया है। इससे हजारों मजदूरों के सामने भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। केवल ओबरा तापीय परियोजना में ही हजारों मजदूर समय से मजदूरी न मिलने के कारण भारी आर्थिक तंगी में आ गए हैं। मजदूरों को प्रतिमाह के 10 तारीख को वेतन के भुगतान का आदेश हासिए पर चला गया है। संविदाकारों का भुगतान न होने के कारण मजदूरों के बोनस और ईपीएफ का भी भुगतान ठप हालत में पहुंच गया है। ओबरा सहित कई परियोजनाओं की इकाइयों की बंदी से भारी संख्या में मजदूरों के बेरोजगार होने की भी समस्या पैदा हो गई है।


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