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बिचौलियों के जाल में फंस रहे मरीज

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By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 04:03 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 04:03 PM (IST)
बिचौलियों के जाल में फंस रहे मरीज

जासं, दुद्धी (सोनभद्र) : तहसील मुख्यालय पर दर्जनभर से अधिक निजी अस्पताल व नर्सिग होम धड़ल्ले से मानकों की अनदेखी कर संचालित किए जा रहे हैं। मोटी कमाई की लालच में संचालित ऐसे कई अस्पतालों के बोर्ड पर लिखे पंजीकृत चिकित्सक का रोगियों से दूर-दूर तक वास्ता ही नहीं पड़ता। उन चिकित्सकों के नाम पर संचालित अस्पतालों में दो-चार हजार के पगार पर काम करने वाले बेरोजगार अप्रशिक्षित युवक-युवतियों से गंभीर स्थिति में पड़े रोगियों के उपचार कराने का काम लिया जाता है। इसका खामियाजा लोगों को अपनी जान देकर भुगतना पड़ता है। गत दिनों एक ऐसे ही अस्पताल में भर्ती प्रसव पीड़िता को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। बताया जाता है कि सरकारी अस्पताल यानी सीएचसी में निजी अस्पतालों के एजेंट लगे रहते हैं। वे मरीजों को प्रलोभन देकर ले जाते हैं।

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हैरत की बात ऐसे अस्पतालों के बारे में स्थानीय स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों को किसी प्रकार की जानकारी न होना लोगों की समझ से परे है। गत दिनों एक प्रसव पीड़िता मौत के मामले में स्वास्थ्य महकमे द्वारा लीपापोती करने का आरोप भी लगा। घटना के दिन आधीरात तक हंगामा होने पर पुलिस एवं स्थानीय स्वास्थ्य महकमे द्वारा उस अस्पताल पर दिखावे के लिए कार्रवाई की गई। कुछ इसी तरह की घटना उसी अस्पताल में करीब दो-तीन माह पूर्व भी घटित हुई थी। उस वक्त भी स्वास्थ्य महकमे द्वारा अस्पताल को सीज किया गया था लेकिन, बाद में यह अस्पताल खुल गया।

सूत्र बताते हैं कि इन अस्पतालों के बोर्ड पर बड़े-बड़े चिकित्सकों का नाम लिखा है। लेकिन, वे डाक्टर शायद ही कभी मरीज को देखते हों। ज्यादातर में अप्रशिक्षित युवक ही इलाज करते हैं और गंभीर स्थिति होने पर यहां से यहां अस्पतालों में घुमवाते हैं।

बोर्ड पर लिखे चिकित्सक अस्पताल से नदारद

आम लोगों के जान से जुड़े अस्पतालों की हकीकत जानने के लिए तहसील मुख्यालय एवं आसपास संचालित निजी अस्पतालों की पड़ताल की गई तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। इसमें दो-तीन अस्पतालों को छोड़कर बाकी सभी अस्पताल के बोर्ड पर नाम लिखे चिकित्सक गायब मिले। मरीजों के इलाज में जुटे एक युवक से उसकी योग्यता की जानकारी मांगने पर युवक बोला हम इलाज थोड़े नहीं कर रहे है। वह तो डाक्टर करते हैं। हम तो बस ऐसे ही आला देख रहे थे। बोर्ड पर लिखे चिकित्सक के बारे में पूछा तो मौजूद कर्मियों ने बताया कि वह सप्ताह में महज एक दिन के लिए आते हैं। बेड पर लेटी मरीजों के भर्ती करने वाले चिकित्सक का नाम पूछने पर मौजूद कर्मी बगले झांकने लगे।

बोले अधिकारी..

इसकी कोई सूची उनके पास नहीं हैं। ना ही यहां निजी अस्पताल संचालित होने की उन्हें कोई जानकारी है। जब कभी किसी के द्वारा शिकायत की जाती है, तो उसकी जांच पड़ताल कर रिपोर्ट शीर्ष अधिकारियों को भेजी जाती है। उनके दिशा निर्देश पर अग्रिम कारवाई की जाती है।

- डा. मनोज कुमार इक्का, अधीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ।


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