टेढ़े-मेढ़े पैरों को दुरुस्त करना बना जीवन का हिस्सा
आधुनिकता की अंधी दौड़ में पराये की पीड़ा को दूर करने के नि:स्वार्थ भाव अगर किसी में है तो वह निश्चित ही सराहना का पात्र है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र: आधुनिकता की अंधी दौड़ में पराए की पीड़ा को दूर करने का नि:स्वार्थ भाव अगर किसी में है तो वह निश्चित ही सराहना का पात्र है। ऐसे ही हैं जिला अस्पताल के एक डाक्टर जो अपनी नजरों में आने वाले उन मरीजों पर ज्यादा मेहरबान होते हैं जिनके पैर जन्मजात टेढ़े-मेढ़े दिखाई देते हैं। यह मेहरबानी जिला अस्पताल के उनके कक्ष तक सीमित नहीं है बल्कि कहीं भी दिव्यांग युवक या युवतियां दिख जाएं तो सलाह के साथ मुफ्त में उसे दुरुस्त करने का भरोसा भी देते हैं।
जिला अस्पताल में आर्थोपेडिक्स सर्जन डा.आनंद ने अपने संक्षिप्त सेवा काल में ही सैकड़ों मरीजों के पैरों का आपरेशन कर समाज में सशक्त भूमिका अदा करने का अवसर दे दिया है। मरीजों के नि:शुल्क उपचार के लिए जिला चिकित्सालय मुकम्मल स्थान है। अभी हाल में ही शाहगंज थाना क्षेत्र के उसरी कला निवासी 14 वर्षीय सोनू के पैर का आपरेशन किया गया। परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक डा. आनंद से मिलने से पूर्व यह भरोसा नहीं था कि सोनू दिव्यांग के कलंक से मुक्त भी हो सकेगा। लेकिन, पैर के सफल आपरेशन के कुछ दिनों बाद सोनू सामान्य बच्चों की तरह चलना शुरू कर दिया। इससे परिवार के सदस्यों खुशी तो हुई ही, डा आनंद को भी इस कलंक से मुक्त करने में मिली सफलता से खुशी हुई। डा. आनंद ने बताया कि दिव्यांग बच्चों को स्वस्थ समाज का हिस्सा बनाना ही हमारा मकसद है। जहां तक होगा यह पूरा प्रयास किया जाएगा कि युवक या युवतियां दिव्यांग के कलंक को अपने माथे पर लेकर न घूमने पाएं।
बता दें कि कुछ महीने पहले केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव व नीति आयोग द्वारा नियुक्त जिले के प्रभारी अधिकारी बीएल मीना ने डा. आनंद को चिकित्सा सेवा के लिए सम्मानित भी किया था। अभी तक उन्होंने 110 से अधिक युवक-युवतियों के पैरों का आपरेशन करके दिव्यांग होने से मुक्त कर दिया है।