सरकारी स्कूलों में ओडीएफ को झटका
जागरण संवाददाता सोनभद्र ..वैसे तो पूरे जिले को बेस लाइन सर्वे के हिसाब से ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। यानी अब कहीं भी कोई खुले में शौच नहीं जाता। लेकिन हकीकत क्या है इसकी बानगी देखनी है तो आइए एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में शामिल सोनभद्र के सरकारी स्कूलों में।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : ..वैसे तो पूरे जिले को बेस लाइन सर्वे के हिसाब से ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। यानी अब कहीं भी कोई खुले में शौच नहीं जाता। लेकिन हकीकत क्या है इसकी बानगी देखनी है तो आइए एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में शामिल सोनभद्र के सरकारी स्कूलों में। यहां कई स्कूलों के शौचालयों का ताला दिन में खुलता ही नहीं और जहां खुलता भी है वहां पानी के अभाव में बच्चे जाना नहीं चाहते। यहां किसी भी स्कूल के शौचालय में पानी की आपूर्ति नहीं है।
जिले में परिषदीय विद्यालयों की संख्या 2464 है। जिसमें प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों की संख्या क्रमश : 1810 व 654 है। जिसमें कुल दो लाख 40 हजार छात्र पंजीकृत हैं। इन स्कूलों में पांच से 10 फीसद विद्यालयों को छोड़ दिया जाए तो अन्य स्कूलों में शौचालय का प्रयोग महज इसलिए नहीं किया जाता कि वहां न तो पानी सप्लाई की व्यवस्था है और न ही सफाई कर्मी ही आते हैं। शहर से लेकर गांवों तक चलाए गए स्वच्छता और खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करने का अभियान को परिषदीय विद्यालयों से ही पलीता लग रहा है।
विद्यालयों के इज्जतघरों में सफाई व पानी की समस्या आड़े आ रही है। पांच से 10 फीसद विद्यालयों को छोड़ दिया जाए तो किसी भी स्कूल के शौचालयों में पानी की सप्लाई नहीं है। इन स्कूलों में प्रतिदिन सफाई कर्मी भी नहीं आते। यहीं वजह है कि ज्यादातर स्कूलों में सफाई की दिक्कत व पानी का अभाव होने के कारण शौचालयों में ताला लटकता रहता है। ऐसे में बच्चों को शौच के लिए बाहर ही जाना पड़ता है। यहीं स्थिति शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों की भी है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में गुरु जी को भी खेत का ही सहारा लेना पड़ता है। तालाबंदी पर लगती है फटकार
परिषदीय विद्यालयों की पूर्व में हुई जांच के दौरान शौचालयों में तालाबंदी पाए जाने पर शिक्षकों को फटकार लगाने के साथ कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई थी। शिक्षकों को सामने मजबूरी भी है। इसकी वजह पानी व सफाई की व्यवस्था न होना है। यदि शौचालय का उपयोग बच्चे या शिक्षक करते हैं तो उसकी सफाई कौन करेगा, यह सबसे बड़ा प्रश्न खड़ा हो जाता है। इसी वजह से शौचालयों में ताला लटका रहता है और बच्चे खुले में शौच करने के लिए बाध्य होते हैं। सोन कायाकल्प में हो रहा इंतजाम
सोन कायाकल्प के तहत स्कूलों में सुधार किए जाने का प्रस्ताव है। इसमें हैंडपंप की स्थापना, उसमें सबमर्सिबल लगाने के साथ ही पाइप के जरिए शौचालयों में पानी सप्लाई की भी योजना है। जिन विद्यालयों के शौचालय दुरुस्त नहीं है उसकी भी मरम्मत कराई जाएगी। रही सफाई कर्मी की बात तो इस संबंध में जिलाधिकारी को पत्र भेजकर सफाई कर्मियों की स्कूल में मौजूदगी अनिवार्य कराई जाएगी।
- डा. गोरखनाथ पटेल, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी। यह हैं समस्याएं -शौचालयों में नियमित सफाई की दिक्कत।
-शौच के बाद पानी की जरूरत न पूरी हो पाना।
-शौचालयों में गुणवत्ता की कमी से अक्रियाशील होना।
-शौचालयों के प्रति ग्रामीणों का सहयोग न होना।
-शौचालयों के टैंक की सफाई न कराया जाना।
-रखरखाव के लिए पर्याप्त फंड न मिल पाना। संख्या एक नजर में .. स्कूल : 2464
छात्र : 240000
शिक्षक : 4500
शिक्षामित्र : 2200
अनुदेशक : 562