ओबरा-सी के कोल हैंड¨लग प्लांट को जल्द मिलेगी रेलवे की मंजूरी
प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक जनपद सोनभद्र की अभी तक की सबसे ज्यादा लागत वाली 1320 मेगावाट क्षमता की ओबरा सी परियोजना के निर्माण में तेजी दिख रही है। मानसून में आई कमजोरी की वजह से पिछले कुछ महीने हुए व्यवधान के बाद सभी तकनीकि हिस्सों के निर्माण की रफ्तार बढ़ रही है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक जनपद सोनभद्र की अभी तक की सबसे ज्यादा लागत वाली 1320 मेगावाट क्षमता की ओबरा सी परियोजना के निर्माण में तेजी दिख रही है। मानसून में आई कमजोरी की वजह से गत कुछ महीने हुए व्यवधान के बाद सभी तकनीकि हिस्सों के निर्माण की रफ्तार बढ़ रही है। योजनानुसार चल रहे कार्य में समतलीकरण के बाद कई महत्वपूर्ण हिस्सों का निर्माण शुरू हो गया है। उत्पादन निगम प्रशासन के निर्देशन में कोरियन कंपनी दुसान पावर सिस्टम द्वारा टरबाइन एंड जेनरेटर बि¨ल्डग, ब्वायलर, ईएसपी जैसे मुख्य तकनीकि हिस्सों का तेजी से निर्माण जारी है।
ओबरा-सी के लिए बनाये जाने वाले कोल हैंड¨लग प्लांट के लिए पूर्व मध्य रेलवे की जल्द मंजूरी मिल सकती है। गत 14 सितंबर को ओबरा-सी प्रशासन ने पुन: डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) धनबाद रेल मंडल को सौंपा है। इस बार डीपीआर में सेंट्रल माइ¨नग रीसर्च इंस्टीट्यूट(सीएमआरआइ) की रिपोर्ट को भी शामिल किया गया है। बताते चलें कि ओबरा-सी के लिए बनने वाले कोल हैंड¨लग प्लांट सहित उसके प्रमुख हिस्से वैगन एंड ट्रिपलर के साथ रेलवे ट्रैक के लिए उत्पादन निगम द्वारा रेलवे की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। पूर्व में निगम द्वारा डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) मंजूरी के लिए रेलवे को गत अप्रैल को ही दे दिया गया था लेकिन अभी भी इसकी मंजूरी नहीं मिल सकी है। मंजूरी मिलते ही कोल हैंड¨लग प्लांट के सभी हिस्सों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। ओबरा-सी के महाप्रबंधक इं.कैलाश गुप्ता ने बताया कि इस बार रेलवे को दी गयी रिपोर्ट में सेंट्रल माइ¨नग रीसर्च इंस्टीट्यूट(सीएमआरआइ) धनबाद की रिपोर्ट को भी शामिल किया गया है। चूंकि कोल हैंड¨लग प्लांट के निर्माण में विस्फोटकों के प्रयोग की भी संभावना है। उक्त प्लान के बगल से ही चोपन-¨सगरौली रेल मार्ग गुजरा है। कोल हैंड¨लग प्लांट के निर्माण के दौरान मुख्य रेल लाइन को कोई बाधा नहीं आये इसलिए इस कार्य में विशेषज्ञों का सहयोग लिया जा रहा है। रेल विभाग को आश्वस्त किया जा रहा है कि मुख्य रेलमार्ग से यातायात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बताया कि रेलवे की मंजूरी मिलने के बाद कोल हैंड¨लग प्लांट के निर्माण को शुरू कर दिया जायेगा। झारखंड से मिलेगा ओबरा-सी को कोयला
पूर्व में ओबरा-सी के लिए चांदीपाड़ा उड़ीसा में कोल ब्लॉक आवंटित हुआ था लेकिन कुछ वर्ष पहले हुए चर्चित कोल घोटाले के बाद उच्चतम न्यायालय ने उक्त आवंटन रद्द कर दिया था। अब पुन: कोयला मंत्रालय ने प्रस्तावित विस्तार के लिए राजमहल ग्रुप ऑफ कोलफील्ड्स झारखण्ड की ब्राह्मणी बेसिन की जमारपानी कोयला खदान आवंटित की है। ओबरा-सी का ब्वॉयलर 100 प्रतिशत घरेलू कोयले के लिए डिजायन किया जायेगा। बहरहाल, 100 प्रतिशत देशी कोयला उपलब्ध होने तक इसमें 70 प्रतिशत आयातित और 30 प्रतिशत घरेलू कोयले का प्रयोग किया जायेगा। यह 30 प्रतिशत कोयला पुरानी इकाइयों के कोल ¨लकेज से लिया जायेगा, मगर तापीय विद्युत परियोजना का प्रस्तावित विस्तार पूर्ण होने से पहले ही इन इकाइयों को चरणबद्ध ढंग से समाप्त किया जायेगा। बोले अधिकारी
ओबरा-सी का निर्माण तेजी से चल रहा है। टरबाइन एंड जेनरेटर बि¨ल्डग, कामन कंट्रोल रूम सहित 660-660 मेगावाट क्षमता की दोनों इकाइयों के फाउंडेशन का कार्य पूरा हो चुका है। अब ब्वायलर और टरबाइन के लिए स्टील स्ट्रक्चर को खड़ा किया जा रहा है, साथ ही ईएसपी और सीडब्लू पाइप सहित अन्य कई महत्वपूर्ण तकनीकि निर्माण किये जा रहे हैं।
-इं. कैलाश गुप्ता, महाप्रबंधक, ओबरा-सी। निर्माणाधीन परियोजना की स्थिति
-ओबरा-सी में 660 मेगावाट की लगेंगी 2 इकाइयां।
-10400 करोड़ है परियोजना की लागत।
-900 करोड़ अब तक हो चुका है खर्च।
-52 महीने में पूरा होना है कार्य।
-23 दिसम्बर 2016 से शुरू है कार्य।
-परियोजना के लिए 550 एकड़ भूमि की है आवश्यकता।