सोनांचल में होगी अब बौनेपन की जांच
देश के 115 एस्पीरेशनल डिस्ट्रिक्ट में शामिल सोनभद्र जिले में कुपोषण से जो जंग लड़ी जा रही है बगैर संसाधनों के। ऐसे में कुपोषण को लेकर जो आंक़ड़े आ रहे यह कितने सच हैं इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। करीब 20 लाख की आबादी वाले जनपद में 1
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : देश के 115 एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में शामिल सोनभद्र जिले में कुपोषण से जो जंग लड़ी जा रही है, बगैर संसाधनों के। ऐसे में कुपोषण को लेकर जो आंकड़े आ रहे यह कितने सच हैं, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। करीब 20 लाख की आबादी वाले जनपद में 1825 आंगनबाड़ी केंद्र है जिनमें बौनेपन की जांच के लिए कहीं कोई व्यवस्था नहीं है। वजन करने की मशीन चुनिदा केंद्रों पर ही है। ऐसे में जुगाड़ से आंकड़े तैयार किए जाते हैं। हालांकि अब जल्द ही सभी केंद्रों पर निर्धारित मानकों के तहत जांच की जाएगी और कुपोषण का सही आंकड़ा सामने आएगा।
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के सूत्रों की मानें तो कुपोषण जांचने के लिए कई मानक हैं। लेकिन उन मानकों के तहत काम नहीं हो रहा है। जबकि नीति आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि निर्धारित मानक के आधार पर कुपोषण की जांच करके ही आगे की कार्यवाही होगी। क्योंकि जब तक सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं होगा तब तक सही तरीके से इससे लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है। निर्धारित मानकों पर गौर करें तो पहला मानक वजन के आधार पर कुपोषण की जांच करना है। जिले में 1825 केंद्र हैं। इसमें जो वजन के आधार पर जांच की व्यवस्था है वह करीब 30 फीसद केंद्रों पर ही है। यानी बाकी केंद्रों पर जुगाड़ के सहारे जांच होती है। दूसरा मानक होता है लंबाई के आधार पर है। यह मानक पूरी तरह से फेल है। क्योंकि लंबाई नापने के लिए जिले में कोई इंतजाम नहीं है। किसी भी केंद्र पर इसके लिए जरूरी इन्फैंटो मीटर और स्टीडियो मीटर नहीं है। तीसरा आधार होता एमयूएसी टेप के जरिए। यह टेप भी नहीं है। यानी महज वजन के आधार पर ही कुपोषण की जांच होती है। इस तरह से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर कुपोषित बच्चों का जो आंकड़ा है वह कितना सही है। जिले में 40 हजार कुपोषित बच्चे
आदिवासी बाहुल्य जनपद में कुपोषित बच्चों की संख्या अभी करीब 40 हजार है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के आंकड़ों की मानें तो कुल दो लाख 23 हजार बच्चे हैं जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत। इसमें पांच हजार बच्चे अति कुपोषित हैं और 35000 बच्चे कुपोषित की श्रेणी में हैं। यानी अगर सभी मानकों के आधार पर जांच हो तो यह संख्या और ज्यादा बढ़ेगी। अभी क्या बनी है रणनीति
जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए शासन के निर्देशानुसार डीएमएफ से जरूरी उपकरण खरीदने की सहमति बनी है। प्रशासनिक सहमति मिल चुकी है जैम पोर्टल के माध्यम से जरूरी सामग्री खरीद की जानी है। बताया जाता है कि जिले के 1720 केंद्रों पर ये उपकरण खरीद किए जाने हैं। इसमें वजन मशीन के रूप में बेबी श्रेणी की मशीन तीन हजार रुपये प्रति मशीन और वयस्क की 2500 रुपये प्रति मशीन के हिसाब से खरीद की जानी है। इसी तरह इन्फोटो मीटर 2900 रुपये प्रति मशीन और स्टीडियो मीटर 2550 रुपये प्रति मीटर की दर से खरीद की जानी है। एमयूएसी टेप की खरीद के लिए 20 रुपये प्रति टेप के हिसाब से खरीद होनी है। यानी कुल एक करोड़ 89 लाख रुपये से अधिक की धनराशि खर्च की जानी है। हालांकि यह आंकड़ा अभी बढ़-घट सकता है। बाकी केंद्रों के लिए भी योजना तैयार की गई है। ''जिले में हर मानक के तहत कुपोषण जांचने और हर बच्चे को स्वस्थ बनाने के लिए डीएमएफ से जरूरी मशीन या अन्य सामग्री खरीद की योजना बनी है। जिले के सभी केंद्रों पर जल्द ही जरूरी उपकरण होंगे। कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों के लिए शासन की मंशा के अनुसार पोषाहार दिया जा रहा है।''
-अजीत कुमार सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी।