रेणुका पर पुल नहीं, ओबरा-सी की दिक्कतें
रेणुका नदी पर प्रस्तावित पुल निर्माण में हो रही देरी के कारण निर्माणाधीन 1320 मेगावाट क्षमता के ओबरा-सी की दिक्कतें बढ़ सकती है। इसका निर्माण कार्य पूरे होने
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : रेणुका नदी पर प्रस्तावित पुल निर्माण में हो रही देरी के कारण निर्माणाधीन 1320 मेगावाट क्षमता के ओबरा-सी की दिक्कतें बढ़ सकती है। इसका निर्माण कार्य पूरे होने में अब मात्र 17 महीने शेष बचे हैं लेकिन, अभी तक पुल निर्माण का मामला तकनीकी उलझनों में अटका हुआ है। इसके निर्माण के लिए तय किये गये 52 माह में 35 महीने बीत चुके हैं। निर्माण के तहत बॉयलर, टर्बाइन, चिमनी, कोल हैंडलिग प्लांट, कूलिग टावर, कंट्रोल रूम सहित कई महत्वपूर्ण हिस्सों का कार्य तेजी से चल रहा है। हालांकि अभी आठ से नौ महीने निर्माण कार्य देरी से चल रहा है। इसके बावजूद पुल निर्माण में लगने वाले समय को देखते हुए ओबरा-सी से उत्पादन शुरू होने में बाधा खड़ी हो सकती है। योजना के तहत एक इकाई को 2020 में उत्पादनरत करना है। पुल से ही जानी है ऐश पाइपलाइन
ओबरा-सी में उत्पादन चालू होने पर निकलने वाली ऐश रेणुकापार के चकाड़ी स्थित ऐश डैम में जाएगी। इस ऐश को पाइपलाइन के माध्यम से ऐश डैम तक ले जाना है। इन पाइपलाइनों को रेणुका नदी पर प्रस्तावित पुल से ही ले जाना है। योजना के तहत ऐश की कुल आठ तथा ऐश वाटर री-सर्कुलेशन सिस्टम से सम्बन्धित दो पाइपलाइनों को ले जाना है। पुल का उपयोग करने के कारण उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा पुल निर्माण में आर्थिक सहयोग भी दिया जाना है। लेकिन पुल निर्माण को लेकर अभी भी फाइल के सेतु निगम मुख्यालय में फंसे होने के कारण पुल निर्माण शुरू नही हो पा रहा है। ओबरा-सी से ऐश निकासी नहीं होने पर इकाइयों से उत्पादन नही शुरू हो पाएगा। ..तब पुल निर्माण में फंसा था पेच
23 दिसम्बर 2016 को ओबरा-सी और रेणुका नदी पर नये पुल का एक साथ शिलान्यास हुआ था लेकिन, ओबरा-सी द्वारा लायी गयी तकनीकी बाधा के कारण ही पुल निर्माण रुक गया। पूर्व में नया पुल पहले से ऐश पाइपों को ले जाने वाले राखी पुल के पास बनना था। लेकिन रेणुका नदी के तटवर्ती हिस्से में ओबरा-सी का ऐश डैम प्रस्तावित होने की वजह से पुल में अड़ंगा लग गया। पुल तक सम्पर्क मार्ग के लिए ओबरा-सी प्रशासन द्वारा जगह नही देने के कारण नवम्बर 2017 में पुल के प्रस्ताव को निरस्त करना पड़ा। इस बीच एनजीटी ने नदियों से 500 मीटर के दायरे में ऐश डैम पर प्रतिबन्ध लगाए जाने के कारण ओबरा-सी को भारी झटका लगा। मजबूरी में रेणुकापार स्थित चकाड़ी में ऐश को ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। जो पुल ओबरा-सी की वजह से निरस्त हुआ वही पुल बदली परिस्थितियों में ओबरा-सी के लिए अति महत्वपूर्ण हो गया ।अब रेणुका पुल का तत्काल निर्माण ओबरा-सी के लिए जरूरी हो गया है।