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ऊहापोह के बीच असमंजस में नेताजी

होली के बीतते ही चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। ऐसे में जहां चुनाव में अपना भाग्य आजमाने वाले जोड़-तोड़ शुरू कर दिए हैं वहीं प्रमुख राजनीतिक दलों में शुमार भाजपा के कार्यकर्ताओं में टिकट को लेकर ऊहापोह के साथ असमंजस भी देखा जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 09:38 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 09:38 PM (IST)
ऊहापोह के बीच असमंजस में नेताजी
ऊहापोह के बीच असमंजस में नेताजी

जासं,सोनभद्र: होली के बीतते ही चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। ऐसे में जहां चुनाव में अपना भाग्य आजमाने वाले जोड़-तोड़ शुरू कर दिए हैं वहीं प्रमुख राजनीतिक दलों में शुमार भाजपा के कार्यकर्ताओं में टिकट को लेकर ऊहापोह के साथ असमंजस भी देखा जा रहा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि गुरु का करल जाय कुछ समझ में नहनी आवत के टिकटवा हम्मन के मिली या सहयोगी पार्टी के, लेकिन चाहे जवन होय परचरवा त करहीं के पड़ी।

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शनिवार की सुबह होली की खुमारी ठीक से उतरी भी नहीं थी कि सत्तासीन राजनीतिक दल के एक नेताजी बढ़ौली चौराहा स्थित मक्खन चाय की दुकान पर पहुंचे। वह जम्हाई लेते हुए बोले, का भई मक्खन एक चाय पियावा। उनकी बात पूरी हुई भी नहीं थी कि मक्खन झट से सलामी ठोंकते हुए जय महाकाल, जय महाकाल बोलते हुए चाय नेताजी को पेश करते हैं कि तब तक दूसरे नेताजी भी पहुंच गए। वे नेताजी को नमस्कार करते हुए टेबल पर बैठ जाते हैं। तब तक नेताजी ने उनके लिए भी चाय का आर्डर दिया। कुछ ही पल में उनके हाथ में भी चाय पहुंची। इसके बाद दोनों नेता चुस्की लेते हुए पहले होली कैसी बीती, क्या रहा इस पर चर्चा शुरू करते हैं। खान-पान, मेल-मिलाप की बातें होते-होते शुरू हो जाती है चुनाव की चर्चा। पार्टी की स्थिति पर चर्चा होते ही नेताजी कहते हैं कि गुरु का बताई अबहीं कुछ समझ में आलाकमान क नहनी आवत, इहां क होई कुछ कहल नहनी जा सकत, हम्मन ही लड़ब या सहयोगी लड़िहन कइसे कहल जाए, जहां भी बात होत बा सबसे कउना सार्थक जवाब नहनी मिल पावत, ऐसे में सबमे ऊहापोह बनल बा, इहै नाहीं असमंजस भी बा के कहीं दूसरे दलवा क लोग न आके टिकटवा मार लें। यही सब चल ही रहा था कि दूसरे नेताजी तपाक से कहते हैं कि नेताजी कुछ भी हो करै के त आलाकमान के बा, हम्मन के का कइ सकी ला, जउन आदेश होई ओके निबहई के पड़ी। आखिर कुछ सहयोगियों रहिअ त अपनै। तभी नेताजी चाय का कुल्हड़ फेकते हुए लंबी सांस लेते हुए कहते हैं कि खैर बात त ठीक कहत हव, आखिर हम लोग कर ही का सकी ला। इसके बाद दोनों नेताजी एक ही बाइक पर बैठते हैं और निकल जाते हैं बाजार की ओर।

-एक नागरिक..।


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