Move to Jagran APP

मां ने दिव्यांग बेटी के लिए भीख मांगकर बनवाया शौचालय

तंगहाली व दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है। इसके लिए सिर्फ जरूरत है तो सिर्फ बुलंद हौसले की। जिसे साबित कर दिया है एक बेसहारा मां ने। उसने अपनी दिव्यांग बेटी के लिए लोगों से भीख मांगकर पाई-पाई जुटाया और बनवा दिया शौचालय।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 09:11 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 09:11 PM (IST)
मां ने दिव्यांग बेटी के लिए भीख मांगकर बनवाया शौचालय
मां ने दिव्यांग बेटी के लिए भीख मांगकर बनवाया शौचालय

जासं,सोनभद्र : तंगहाली व दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है। इसलिए सिर्फ जरूरत है तो सिर्फ बुलंद हौसले की। जिसे साबित कर दिया है एक बेसहारा मां ने। उसने अपनी दिव्यांग बेटी के लिए भीख मांगकर पाई-पाई जुटाया और बनवा दिया शौचालय। इसकी जानकारी जब जिला प्रशासन को हुई तो मां-बेटी को पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान से जोड़ते हुए दोनों को नजीर बनाया। इसके बाद दोनों ने मिलकर स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हुए गांव के लोगों को शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया। अब इनका गांव खुले में शौचमुक्त तो हुआ ही आसपास के अन्य गांव के लोगों के लिए भी मां-बेटी प्रेरणास्त्रोत साबित हो रही हैं।

loksabha election banner

यह बात नक्सल प्रभावित मध्य प्रदेश की सीमा से सटे म्योरपुर ब्लाक के चौबे पर सवार गांव की है। जहां की रहने वाली शैल कुमारी ने यह साबित कर दिया कि एक मां की ममता क्या होती है। दिव्यांग बेटी के कष्ट को देखते हुए उसने सारे बंधन तोड़ दिया। शैल कुमारी ने तीन साल तक गांव के साथ ही आसपास के गांवों में भीख मांगकर बेटी के लिए शौचालय का निर्माण कराया, ताकि उसके न रहने पर दिव्यांग बेटी को किसी भी तरह की समस्या न हो। यही नहीं बेटी के साथ जीवनयापन करने के लिए प्राथमिक विद्यालय में चंद रुपये पर रसोइयां का काम किया। शैल कुमारी बताती हैं कि जब उनकी बेटी किरन बहुत छोटी थी तभी उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया। बचपन से ही बेटी चलने में अक्षम थी। छोटी थी तो उसकी नित्यक्रिया को वह आसानी से करा देते थीं, लेकिन जब वह धीरे-धीरे बड़ी होने लगी तो उन्हें चिता सताने लगी। रिश्तेदारों से इस विषय पर बात कर कुछ धन की मदद मांगी, लेकिन वह लोग अपनी समस्या गिनाकर किनारा कर लिए। कुछ दिनों तक तो कुछ समझ में नहीं आया, इसके बाद एक दिन वह शर्म छोड़कर बेटी के लिए गांव के हर घर का दरवाजा खटखटाया। धीरे-धीरे कुछ पैसे एकत्रित किया, शौचालय का गड्ढा खुद खोदा और निर्माण कार्य शुरू कराया। बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में तीन साल का समय निकल गया। शौचालय की दीवार खड़ा कराकर किसी तरह से बेटी के लिए एक रास्ता बनाया।

शैल को मिला किरन का साथ

तीन वर्ष तक एक अदद शौचालय के लिए संघर्ष करने वाली मां-बेटी पर स्वच्छ भारत मिशन की समन्वयक किरन सिंह की नजर पड़ी। उन्होंने बताया कि जब उन्हें ऐसे परिवार की जानकारी हुई तो तत्काल उनके पास पहुंचीं। मां-बेटी की मनोस्थिति देखने के बाद एक बार खुद को विश्वास नहीं हुआ। इसके बाद उन लोगों द्वारा बनवाये गये आधे-अधूरे शौचालय को योजना के तहत चाक-चौबंद किया, और मां-बेटी से गांव को ओडीएफ कराने में मदद करने की अपील की। इसके बाद शैल कुमारी हर उस घर का दरवाजा खटखटाया जहां शौचालय नहीं था और उन्हें शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया। इसका नतीजा है कि आज उनका गांव खुले में शौचमुक्त घोषित हो गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.