मानसून की बेरुखी ने बढ़ाई समस्या
जागरण संवाददाता ओबरा (सोनभद्र) मानसून के लगातार कमजोर पड़ने के कारण व्यापक स्तर पर दिक्क्तें बढ़ी है। निरंतर बारिश नहीं होने से जहां खरीफ की फसल के लिए दिक्क्तें बढ़ी हैं वहीं जलविद्युत उत्पादन में भी भारी कमी आयी है। चालू जुलाई माह के शुरूआती 12 दिनों में सोनभद्र में सामान्य बारिश 108.8 मिलीमीटर के सापेक्ष मात्र 28.3 मिलीमीटर ही बारिश हुई है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : मानसून के लगातार कमजोर पड़ने के कारण व्यापक स्तर पर दिक्क्तें बढ़ी है। निरंतर बारिश नहीं होने से जहां खरीफ की फसल के लिए दिक्क्तें बढ़ी हैं वहीं जलविद्युत उत्पादन में भी भारी कमी आयी है। चालू जुलाई माह के शुरूआती 12 दिनों में सोनभद्र में सामान्य बारिश 108.8 मिलीमीटर के सापेक्ष मात्र 28.3 मिलीमीटर ही बारिश हुई है। मानसून की बेरुखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते 22 जून तक सामान्य से 225 फीसद ज्यादा बारिश हुई तो 13 जुलाई को घटकर मात्र नौ फीसद रह गई है। एक जून से अभी तक सामान्य 243.9 मिलीमीटर के सापेक्ष जनपद में 264.7 मिलीमीटर बारिश हुई है। जिसमें से 210.5 मिलीमीटर बारिश तो 22 जून तक हो गई थी। भारत मौसम विज्ञान विभाग के आकड़ों के अनुसार बीते आठ जुलाई को जनपद में 3.5 मिलीमीटर,नौ जुलाई को 0.3 मिलीमीटर, दस जुलाई को 3.3 मिलीमीटर, 11 जुलाई को 2.8 मिलीमीटर, 12 जुलाई को 1.7 मिलीमीटर एवं 13 जुलाई को बिलकुल बारिश नहीं हुयी। बारिश नहीं होने के कारण किसानों की बेचैनी बढ़ने लगी है। जहां धान की खेती के लिए गंभीर संकट पहले ही उत्पन्न हो गया था वही अब मक्के की खेती भी सूखने लगी है। जलाशयों के जलस्तर में वृद्धि प्रभावित
मानसून की बेरुखी का असर जलाशयों पर भी दिखने लगा है। दस हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली उत्पादन के मुख्य आधार रिहंद जलशय के जलस्तर में वृद्धि को तगड़ा झटका लगा है। चालू जुलाई माह के 13 दिनों में रिहंद के जलस्तर में मात्र आधा फीट की ही वृद्धि हुई है। चालू मानसून सत्र में बीते 17 जून से रिहंद के जलस्तर में वृद्धि शुरू हुई थी। बीते 16 जून से 20 जून तक छत्तीसगढ़ के कोरिया, सूरजपुर तथा मध्यप्रदेश के सिगरौली में हुयी भारी बारिश से रिहंद के जलस्तर में वृद्धि शुरू हुयी लेकिन इन जिलों में बारिश में हुई कमी के कारण वृद्धि पर लगाम लग गई। जून माह में रिहंद के जलस्तर में मात्र 3.8 फीट की ही वृद्धि हो पाई। फिलहाल जलस्तर अपेक्षित तौर पर नहीं बढ़ने का सीधा असर जलविद्युत उत्पादन पर हुआ है। उधर रेणुका, सोन, कनहर और विजुल नदियों के जलस्तर में भारी कमी हुई है।