Move to Jagran APP

लाखों का सोलर प्लांट चोरों के हवाले

जरहां गांव को रोशन करने के लिए एनटीपीसी रिहंद सीएसआर के तहत वर्ष 2006 में गांव के टोला चेतवा में करोड़ों रुपए की लागत से सोलर और बायोमास प्लांट का निर्माण कराया गया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 09:03 PM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 06:29 AM (IST)
लाखों का सोलर प्लांट चोरों के हवाले
लाखों का सोलर प्लांट चोरों के हवाले

जागरण संवाददाता, बीजपुर (सोनभद्र) : जरहां गांव को रोशन करने के लिए एनटीपीसी रिहंद सीएसआर के तहत वर्ष 2006 में गांव के टोला चेतवा में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से सोलर और बायोमास प्लांट का निर्माण कराया गया। देखरेख के अभाव में यह अपनी उपयोगिता खो रहा है। प्लांट में लगे 60 बैट्री, चार्जर, यूपीएस, दर्जनों सोलर प्लेट तथा सैकड़ों पोल व तार सहित अधिकांश कीमती उपकरण कबाड़ चोरों की भेंट चढ़ गए हैं।

loksabha election banner

दरअसल, 55 लाख रुपये की लागत से 11.09 किलो वाट का सौर ऊर्जा प्लांट और 85 लाख रुपये की लागत से 40 किलोवाट के बायोमास प्लांट का निर्माण एनटीपीसी ने बंगलौर की मिलेनियम कंपनी से वर्ष 2006 में ग्राम सभा की भूमि पर कराया था। दोनों प्लांट से लगभग 200 घरों को 40 रुपए प्रतिमाह की दर से कनेक्शन देना था लेकिन, इस योजना से महज दो घंटे तक ही बिजली मिलने के कारण उपभोक्ताओं का इस आपूर्ति से मोहभंग हो गया। इसके कारण एनटीपीसी की यह योजना ज्यादा दिन तक उपयोगी साबित नहीं हो सकी। बाद में एनटीपीसी सीएसआर ने सौर ऊर्जा प्लांट को चलाने के लिए मां दुर्गा ऊर्जा उत्पादन सहकारी समिति और बायोमास प्लांट को चलाने के लिए ग्रामीण ऊर्जां उत्पादन सहकारी समिति का पंजीकरण किया गया। इसमे मां दुर्गा ऊर्जा उत्पादन सहकारी समिति अध्यक्ष राजकुमार सिंह तथा गंगा प्रसाद गौड़ को बनाया गया। समिति में ग्राम प्रधान को भी संरक्षक बनाया गया था। यह प्रयास भी असफल रहा। प्लांट की रखवाली के लिए गांव के ही तीरथ को डेढ़ हजार रुपए महीना पर रखा गया। वो भी आठ साल तक ड्यूटी कर काम को छोड़ दिया।

ग्राम प्रधान श्रीराम बियार ने कहा कि प्रबंधन की उदासीनता से लाखों की संपत्ति कबाड़ चोरों के जीवकोपार्जन का साधन बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रबंधन इस प्लांट को दूसरी जगह लगाकर पेयजल जैसी सुविधा के लिए उपयोग में लाए तो कुछ हद तक ग्रामीणों को लाभ मिल सकता है। प्रबंधन द्वारा इस ओर समुचित ध्यान नही दिया गया तो बचे हुए प्लांट के उपकरण भी कबाड़ियों के भेंट चढ़ जाएंगे। चोरी गए कीमती सामानों का गठित समिति ने स्थानीय थाने में सूचना देकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ली है। परियोजना द्वारा सीएसआर के तहत गांव के विकास के लिए करोड़ों रुपए की यह योजना पूर्णतया अनुपयोगी हो गई है। सरकार प्रदूषण मुक्त बिजली व्यवस्था स्थापित करने में सोलर सिस्टम को जहां बढ़ावा दे रही है वहीं विभागीय उदासीनता से यह योजना फ्लाप हो गई है। वर्जन.

ग्रामीणों के अनुरोध पर सीएसआर द्वारा इस योजना को संचालित किया गया था। इसे संचालित करने एवं सुरक्षा तक की जिम्मेदारी समिति को दी गई थी।

-केएस मूर्ति, अपर महाप्रबंधक एचआर, रिहंद।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.