सख्ती में भी बड़ी संख्या में लोग घरों से बाहर
सोनभद्र कोरोना वायरस को हराने के लिए पूरा देश एकजुट है। हर कोई लॉकडाउन का पालन करने की बात तो जरूर कहता है लेकिन मौजूदा स्थिति को देखकर इस स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : कहते हैं जैसा शिकार वैसा ही हथियार तभी चुनौती से पार पाया जा सकता है। निस्संदेह पुलिस-प्रशासन ने लॉकडाउन की इस अवधि में शारीरिक दूरी बनाए रखने में सफलता हासिल की है। लेकिन घरों में कैद लोगों को छोड़ भी दें तो पिछले चार-पांच दिनों से बैंकों व गैस एजेंसियों समेत एकाध अन्य केंद्रों पर दिखने वाली बेतहाशा भीड़ कई सवाल खड़े कर रही है।
जनपद की कुल आबादी लगभग 18 लाख है। लॉकडाउन में सभी को शारीरिक दूरी बनाए रखने की अपील के साथ घरों में रहने की हिदायत दी गई है। रोजाना इसके उल्लंघन पर कार्रवाइयां भी हो रही है। पुलिस-प्रशासन के अधिकारी जनपद भर में दौरा भी कर रहे हैं लेकिन, इसी में पता यह चला कि कुल आबादी का एक तिहाई हिस्सा अभी भी अपने घरों से बाहर है। यानी सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों समेत अन्य कामों में लगे लगभग छह लाख लोग एनकेन प्रकारेण घरों से बाहर निकल रहे हैं। ऐसा नहीं है कि प्रशासन ने कम भीड़ होने के लिए नियम निर्धारित नहीं किए हैं बावजूद लोग अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं।
दरअसल, केंद्रीकृत व्यवस्था को विकेंद्रीकृत कर दिया गया होता तो संभव है कि गांवों से लोग कस्बों और शहरों तक नहीं पहुंचते। लॉकडाउन की सफलता के लिए जरूरी है कि हर व्यवस्था की होम डिलीवरी हो। यह खाने-पीने, उठने-बैठने व दवाओं समेत योजनाओं के लाभ दिलाना शामिल है। समस्या कई हैं। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं। जैसे, एक लाभार्थी ने बताया कि सरकार ने खाते में पैसा भेजा है। हम दो दिनों से शहर में आ रहे हैं। और मेरा काम नहीं हो रहा है। आंकड़ा एक नजर में
--------------------------
सुरक्षा में तैनात
--
पुलिस कर्मी फील्ड में हैं - 1100
पीएसी, होमगार्ड व पीआरडी - 800
-------------------
निजी काम से सड़क पर
------------
उज्ज्वला योजना के लाभार्थी - 1.75 लाख
पंजीकृत श्रमिक जिनके खाते में धन गया - 10,000
जनधन के महिला खाताधारक - 1.80 लाख
मनरेगा के सक्रिय जॉबकार्डधारक - 1.58 लाख