जिले में ठोस चिकित्सा कूड़ा निस्तारण व्यवस्था फेल
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिला में हर रोज बड़े स्तर पर चिकित्सा अपशिष्ट पदार्थ निकलता है। मे
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिला में हर रोज बड़े स्तर पर चिकित्सा अपशिष्ट पदार्थ निकलता है। मेडिकल वेस्ट के सही निस्तारण का हर कोई दावा कर रहा है, लेकिन असलियत इससे कोसो दूर है। जिले भर में मौजूद सरकारी और निजी अस्पताल बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों का खुले में उल्लंघन कर रहे हैं। मेडिकल वेस्ट जहां इंसीनेरेटर में निस्तारण होना चाहिए, वहीं इसको खुले में फेंका जा रहा है। खास बात यह है कि इन सभी बातों से जिले का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अनजान है। वहीं इसकी व्यवस्था को देखने वाला प्रदूषण विभाग भी असलियत से बेखबर है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पताल में ठोस अपशिष्ट पदार्थ या कूड़ा के निस्तारण का कार्य देख रहे फर्म को नियमित भुगतान न होने के कारण इसके निस्तारण का काम काफी समय से रुका हुआ है। विदित हो कि यह भुगतान कार्य ठीक से न होने पर पूर्व के मुख्य चिकित्साधिकारियों ने रोके रखा। जिला अस्पताल और जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थो (कूड़े) के निस्तारण का कार्य पूरी तरह से बंद चल रहा है। इसके निस्तारण के लिए विभाग की ओर से एक ठेकेदार को जिम्मा सौंपा गया है लेकिन, पिछले कई माह से कूड़े का निस्तारण नहीं किया जा रहा है।
जिला अस्पताल में पुराने पोस्टमार्टम हाउस के ठीक बगल में कूड़ा फेंका जा रहा है। जहां कूड़ा फेंका जा रहा है वहीं बगल में आयुष अस्पताल है। पास में ही मरीजों का भर्ती वार्ड और मेस भी संचालित होता है। कूड़ा फेंकने से दुर्गध पूरे परिसर में फैलती है जो मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। कूड़ा जस का तस पड़ा रहने के बावजूद सीएमओ दफ्तर से सॉलिड वेस्ट निस्तारण के नाम पर महज कोरम अदायगी की जा रही है।
बड़ी मात्रा में निकलता है वेस्ट
जनपद में निजी अस्पतालों की संख्या सैकड़ों में है। इसके साथ ही जिला अस्पताल, महिला अस्पताल, आठ ब्लाकों में पीएचसी व सीएचसी अस्पताल मौजूद हैं। सभी अस्पतालों व क्लीनिक से प्रतिदिन भारी मात्रा में बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है। सभी सरकारी अस्पतालों में जहां रोज हजारों मरीज आते हैं। इनसे निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट बड़ी मात्रा में निकलता है। जिला अस्पताल में जिस तरह से मेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है, इससे अन्य पीएचसी व सीएचसी की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
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जिस फर्म को मेडिकल वेस्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसका पूर्व में काफी पैसा बकाया है। जिसके कारण इस तरह की समस्या सामने आ रही है। संबंधित फर्म ने भुगतान के लिए आवेदन किया है, इस पर जल्द ही कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा। ताकि समय रहते समस्या का समाधान हो सके।
-डा. एसपी ¨सह, सीएमओ, सोनभद्र।
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बायो मेडिकल वेस्ट के नियम
- अस्पताल से निकलने वाले वेस्ट को तीन हिस्सों में बांटना होता है।
- ब्लड, मानव अंग जैसी चीजों को रेड डिब्बे में डालना होता है।
- काटन, सिरींज, दवाइयों को पीले डिब्बे में डाला जाता है।
- मरीजों के खाने की बची चीजों को ग्रीन डिब्बे में डाला जाता है।
- इन डिब्बे में लगी पालीथिन के आधे भरने के बाद इसे पैक करके अलग रख दिया जाता है, ताकि इंनफेक्शन न हो।