एमसीपी से सशक्त होगी आदिवासी क्षेत्र की आधी आबादी
सूबे के आखिरी छोर पर स्थित आदिवासी बाहुल्य जनपद की महिलाएं अब न जंगलों में लकड़ी बीनेंगी और न ही महुआ। अब ये रोजी-रोजगार करके परिवार का भरण-पोषण करेंगी। इसके साथ ही समाज की मुख्य धारा से जुड़ेंगी। इसके लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना एनआरएलएम के तहत जनपद के 70 समूह की सखियों को सुक्ष्म ऋण योजना यानि माइक्रो क्रेडिट प्लान (एमसीपी) के तहत प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद समूह सखी गांवों में जाकर महिलाओं को रोजी-रोजगार के प्रति जागरुक करेंगी इसके साथ ही उन्हें रोजगार के लिए धन भी उपलब्ध करायेंगी।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : सूबे के आखिरी छोर पर स्थित आदिवासी बाहुल्य जनपद की महिलाएं अब न जंगलों में लकड़ी बटोरेंगी और न ही महुआ। अब ये रोजी-रोजगार करके परिवार का भरण-पोषण करेंगी। इसके साथ ही समाज की मुख्य धारा से जुड़ेंगी। इसके लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना एनआरएलएम के तहत जनपद के 70 समूह की सखियों को सूक्ष्म ऋण योजना यानि माइक्रो क्रेडिट प्लान (एमसीपी) का प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद समूह सखी गांवों में जाकर महिलाओं को रोजी-रोजगार के प्रति जागरूक करेंगी इसके साथ ही उन्हें रोजगार के लिए धन भी उपलब्ध कराएंगी।
अभी तक जनपद के अधिकांश गांवों की महिलाएं जंगलों से लकड़ी काटने व बीनने के बाद उसे बाजारों में बेचकर परिवार का भरण-पोषण करती थीं। इसके साथ ही जंगलों से महुआ बीनकर उसे भी बाजारों में बेचती थीं। इसके साथ ही कई स्थानों पर महुआ से शराब भी पुरुष सदस्यों के साथ मिलकर बनाती थीं। ऐसे में न तो इनका जीवनस्तर सुधर पाता था न ही इनके बच्चों का। इस दौरान इन्हें तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता था। एनआरएलएम के जिला प्रबंधक एमजी रवि ने बताया कि ऐसे में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत इनके जीवनस्तर को सुधारने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सिलाई-कड़ाई, खेती-किसानी के साथ ही भेड़-बकरी पालन व ब्यूटीशियन तक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे गांव की ये महिलाएं समृद्ध व सशक्त बन सकें। इसी कड़ी में इन दिनों 70 समूह की सखियों को सूक्ष्म ऋण योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद इन्हें प्रति समूह 1 लाख 10 हजार का ऋण दिया जाएगा। इससे समूह की महिलाएं अपने लिए कोई रोजगार कर सकेंगी। प्रशिक्षण के बाद ये सखियां गांवों में जाकर महिलाओं को रोजगार के तरीके साथ ही उनको बचत का भी तरीका बताएंगी। 70 समूह से जुड़ी हैं 840 महिलाएं
सूक्ष्म ऋण योजना यानि माइक्रो क्रेडिट प्लान (एमसीपी) का प्रशिक्षण ले रहीं 70 समूह सखियों से 70 गांव की कुल 840 महिलाएं जुड़ी हैं। एक समूह में 12 महिला सदस्य होती हैं। इनको रोजगार करने के लिए प्रति समूह एक लाख दस हजार रुपये का ऋण सरकार द्वारा दिया जाएगा। इस ऋण की धनराशि समूह की महिलाओं को व्यवसाय करने के लिए दिया जाएगा। जिसको वह बाद में समूह को वापस करेंगी। ऐसे में महिलाएं सशक्त होने के साथ ही समृद्ध होंगी।