बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव वापस ले सरकार
बिजली दरों में भारी इजाफा करने के प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष व स्वराज अभियान के नेता दिनकर कपूर ने कहा कि कारपोरेट बिजली कंपनियों की मुनाफाखोरी व लूट को अंजाम देने के लिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : बिजली दरों में भारी इजाफा करने के प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष व स्वराज अभियान के नेता दिनकर कपूर ने कहा कि कारपोरेट बिजली कंपनियों की मुनाफाखोरी व लूट को अंजाम देने के लिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। कहा कि प्रदेश की उत्पादन निगम की बिजली घरों से 5 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली का उत्पादन औसतन 2 रुपये प्रति यूनिट की दर से हो रहा है। केंद्रीय पूल से भी 3 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जा रही है जबकि रिलायंस, बजाज सहित कारपोरेट बिजली कंपनियों से 6 रुपये से ज्यादा दर से बिजली खरीदी जाती है। यहां तक कि पीकआवर में अत्यधिक महंगी दरों से बिजली खरीदी जाती है। जानबूझ कर थर्मल बैकिग द्वारा उत्पादन निगम के सस्ती बिजली के उत्पादन पर रोक लगाई जाती है।
इन कंपनियों की मुनाफाखोरी व लूट को सुनिश्चित बनाए रखने के लिए ही बिजली दरें यहां तक कि घरेलू दरों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। कारपोरेट कंपनियों को पहुंचाए जा रहे इसी मुनाफाखोरी व लूट के परिणामस्वरूप बिजली विभाग भारी घाटे में पहुंच गया। लम्बे अरसे से सार्वजनिक क्षेत्र के बिजली घरों को बर्बाद करने की नीति पर अमल किया जा रहा है, हालात इतने खराब हैं कि 1.50 रुपये प्रति यूनिट से कम लागत पर अनपरा परियोजना की पावर कारपोरेशन द्वारा खरीदी गई बिजली का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। जरूरी मेंटेनेंस के लिए संसाधन नहीं हैं और संविदा मजदूरों का छह-छह माह तक का वेतन नहीं मिल रहा है, जबकि कारपोरेट कंपनियों से 7 रुपये से ज्यादा महंगी दर से नकद बिजली खरीदने के लिए सरकार के पास संसाधन हैं। कहा कि अगर सरकार कारपोरेट कंपनियों की मुनाफाखोरी व लूट पर रोक लगाकर सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों में पर्याप्त निवेश करे तो किसानों सहित ग्रामीण व शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को बेहद सस्ती दर से समुचित बिजली आपूर्ति की जा सकती है।