टेंपो किराए की वजह से बालिकाओं ने छोड़ी पढ़ाई
साहब हम पढ़ना चाहते है, ¨कतु पिता की गरीबी एवं टेंपों का महंगा भाड़ा हमे दसवीं के बाद की पढ़ाई छोड़ने को विवश कर दिया। 15 वर्षीय किशोरी के मुंह से निकले इस अल्फाज ने भारत सरकार के नीति आयोग के संयुक्त सचिव जेएस मीणा एवं उनके साथ चल रहे अधिकारीयों को स्तब्ध कर दिया।
जागरण संवाददाता, दुद्धी (सोनभद्र) : साहब! हम पढ़ना चाहते है लेकिन, पिता की गरीबी एवं टेंपो का महंगा भाड़ा हमें दसवीं के बाद की पढ़ाई छोड़ने के लिए विवश कर दिया है। 15 वर्षीय किशोरी के मुंह से निकले इस अल्फाज ने भारत सरकार के नीति आयोग के संयुक्त सचिव जीएल मीणा एवं उनके साथ चल रहे अधिकारियों को स्तब्ध कर दिया।
दरअसल, संयुक्त सचिव रजखड गांव में आजीविका मिशन के तहत चल रहे सिलाई प्रशिक्षण केंद्र पर पहुंचे तो वहां कुछ किशोरियां भी सिलाई सीखने के लिए आईं थी। श्री मीणा ने उनसे शिक्षा के बारे में पूछा तो सकुचाती किशोरियों में से एक ने कक्षा नौ, तो दूसरी ने हाई स्कूल पास करने एवं एक ने कक्षा आठ के बाद पढ़ाई छोड़ने की बात बताई। इस पर उन्होंने फिर सवाल दागा कि जब अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाली लड़कियों के लिए छात्रवृत्ति का प्रावधान है, तो फिर क्यूं छोड़ी पढ़ाई। तब लगभग सभी किशोरियों ने बताया कि गांव से करीब सात किमी दूर दुद्धी में स्कूल है। वहां जाने के लिए उन्हें टेंपो का सहारा लेना पड़ता है, जिसका भाड़ा इन दिनों दस रुपया वसूला जाता है। मोची का काम करने वाले पिता की स्थिति इतनी नहीं है कि वे प्रतिदिन बीस रुपया उन्हें किराया के लिए दे सकें। किशोरियों का जबाव सुन आला अधिकारी कुछ देर तक मौन रहे। इसके बाद साथ चल रहे अधिकारियों से इन किशोरियों को स्कूल भेजने के बाबत चर्चा की। किशोरियों को तत्कालिक तौर पर साइकिल उपलब्ध कराने का निर्देश खंड विकास अधिकारी को दिया। इसके साथ ही वे राजकीय बालिका इंटर कालेज पहुंचकर वहां की प्रधानाचार्या सुन्दरी देवी से उन बच्चियों को प्रवेश लेने की बात कही। इस पर ¨प्रसिपल ने उन्हें अवगत कराया कि सभी कक्षाओं में आन लाइन प्रवेश प्रक्रिया अब पूरी तरह से बंद हो गई है। इस जबाव से मायूस हुए संयुक्त सचिव ने बालिकाओं को तकनीकी विकास के तहत कोई प्रशिक्षण दिलाने का निर्देश मातहत अधिकारियों को दिया, जिससे उनका यह साल बर्बाद न होने पाए।