टोल प्लाजा पर जमकर वसूली, सुविधाओं पर काई ध्यान नहीं
वाराणसी सहित चार राज्यों को जोड़ने वाले वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं नदारद हैं। जिले में रेलमार्ग की सुविधा सीमित होने के कारण पूर्वांचल के कई जिलों के लोग सोनभद्र होकर इसी राजमार्ग से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड व बिहार की यात्रा करते हैं। इस दौरान लोगों को वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर 115 किमी लंबा सफर तय करना पड़ता है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र :
वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर फोरलेन का निर्माण 2015 में हुआ। राजमार्ग के चकाचक होने के बाद लोगों का यातायात तो सुगम हो गया लेकिन इसके बदले में जेब भी ढीली होने लगी। शुरू में लोगों ने इसका काफी विरोध किया लेकिन सुविधाओं का हवाला देकर लोगों को शांत करा दिया गया। इसके बाद भी सुविधाओं के नाम पर लोगों को अब तक कुछ नहीं मिल रहा है। जनपद में पड़ने वाले लगभग 75 किमी राजमार्ग पर कहीं भी यात्री सुविधाएं मुकम्मल नहीं हैं। न तो शौचालय की व्यवस्था है न यात्री शेड है। वहां हादसों की स्थिति में भी टोल वसूल रही कंपनी का कोई खास भूमिका नहीं रहती। जबकि पीपीपी माडल से बनीं सड़क पर टोल वसूलने के साथ ही यात्रियों को भरपूर सुविधा भी देने का प्राविधान है, जो वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर नहीं मिल रहा है। यात्रियों को टूटी सड़क के साथ ही तमाम अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ है। क्या है पीपीपी माडल
आला दर्जे की सड़क के लिए सरकारें पीपीपी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत सड़कें बनाती हैं। निजी कंपनियां आला दर्जे के राजमार्गों के निर्माण में निवेश करती हैं। बदले में उन्हें टोल वसूली का हक मिलता है। वर्ष 2005 में हाईवे निर्माण में निजी कंपनियों की मदद लेने का फैसला हुआ। सिर्फ चार लेन या उससे ज्यादा लेन की सड़कों पर ही ये नीति लागू है। सरकारों ने सड़क बनाने के लिए बिल्ड-आपरेट-ट्रांसफर नीति को अपनाया। नीति के तहत सड़क बनाने वाला निवेशक 30 साल तक टोल वसूल सकता है। प्रोजेक्ट शुरू होते ही वह टोल वसूलने का हक पा जाता है। 30 साल तक वसूली के बाद निवेशक सड़क सरकार के हवाले कर देता है। नेशनल हाईवे फीस नियम 2008 के संशोधनों के तहत टोल की रकम तय होती है। शौचालय निष्प्रयोज्य, एंबुलेंस किसी ने देखा नहीं
वराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर वर्ष 2015 से टोल वसूली का काम चल रहा है। इस दौरान सभी टोल नाकों पर यात्रियों की सुविधा के लिए शौचालय व पेयजल की व्यवस्था की गई। इसके अलावा यात्रा के दौरान कहीं कोई दुर्घटना होने पर चिकित्सालय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सभी टोलों पर एक-एक एंबुलेंस खड़ा किया गया है, लेकिन इनके द्वारा कितने दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को अस्पताल पहुंचाया गया इसकी जानकारी टोल अधिकारियों के पास तक नहीं है। लोढ़ी टोल प्लाजा के पास स्थापित शौचालय में गंदगी का आलम यह है कि उसके प्रयोग की बात तो दूर उसके आसपास भी लोग जाना पसंद नहीं करते। नियमित साफ-सफाई करने की बात पर टोल कर्मचारी तमाम दलील देते दिखते हैं। क्या कहते हैं यात्री
जिला मुख्यालय से वाराणसी जाते वक्त सुकृत से लगायत अदलहाट तक तमाम जगहों पर सड़कों पर बड़े गड्ढे बने हुए हैं। जिस कारण तमाम तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसको लेकर कई बार शिकायत भी दर्ज कराया गया है लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
-अजय केशरी। टोल प्लाजा पर शौचालय में इतनी गंदगी है कि उसका प्रयोग करना किसी के बात नहीं है। एक-दो बार लोढ़ी स्थित टोल प्लाजा पर शौचालय का प्रयोग करने की कोशिश किया लेकिन गंदगी व पानी न होने के कारण हमें निराशा ही हाथ लगी।
-दिलीप कुमार। कुछ दिन पहले ही सुकृत के पास सड़क दुर्घटना में कुछ लोग घायल हो गए। इस दौरान टोल वसूल रही कंपनी के एंबुलेंस को फोन किया गया लेकिन उनका फोन लगातार नाट रीचेबल आ रहा था जिसके कारण हम लोगों को सरकारी एंबुलेंस बुलाना पड़ा।
-लल्लू बेग। वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर छुट्टा पशु घूमते रहते हैं। कई बार तो यह बड़े वाहनों की चपेट में आकर मर भी जाते हैं। नियमित पेट्रो¨लग का दावा करने वाली कंपनी के कर्मी इन पशुओं को कई-कई दिनों तक वहां से हटाने की भी जहमत नहीं उठाते जिसके कारण हम लोगों को तमाम तरह की समस्याएं उठानी पड़ती है।
-नागेंद्र।
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जिले में स्थापित टोल प्लाजा : दो
एंबुलेंस की संख्या : दो
शौचालयों की संख्या: नौ
प्रतिदिन हो रही वसूली : 18 से 20 लाख (लगभग)।