भूमि हकदारी मोर्चा के गठन से जगी थी न्याय की उम्मीद
जासं बभनी (सोनभद्र) वनवासियों की भूमि पर कब्जा करने का सिलसिला अस्सी के दशक के पहले का है।
जागरण संवाददाता, बभनी (सोनभद्र) : वनवासियों की भूमि पर कब्जा करने का सिलसिला अस्सी के दशक के पहले का है। इसके विरोध में वनवासी सेवा आश्रम के संस्थापक स्व. प्रेम भाई के नेतृत्व में वनवासियों को अधिकार दिलाने के लिए वर्ष 1984 में भूमि हकदारी मोर्चा का गठन भी हुआ था। इसके बैनर तले दुद्धी, आश्रम मोड़, म्योरपुर, बभनी व जरहां में सड़क जाम हुआ था, इसके बाद शासन-प्रशासन ने आदिवासियों व वनवासियों की खोज खबर ली थी।
भूमि हकदारी मोर्चा के बैनर तले आंदोलन के बाद सरकार की कुंभकर्णी निद्रा टूटी। इसी के बाद आदिवासियों व वनवासियों को हक दिलाने के लिए दुद्धी में सर्वे तहसीलदार कार्यालय बनाया गया। भौगोलिक दृष्टि से काफी दुरूह क्षेत्र होने के कारण दुद्धी के बाद बीजपुर में सहायक अभिलेख अधिकारी कार्यालय की स्थापना की गई। ओबरा से लगे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के लोगों को लाभ व हक दिलाने के लिए आरओ कार्यालय की स्थापना की गई। कुछ दिनों तक सबकुछ ठीकठाक चला। जिन अधिकारियों व कर्मचारियों के कंधे पर आदिवासियों व वनवासियों को हक दिलाने का दारोमदार डाला गया वहीं उनके लिए अभिशाप बन गए। हुआ यह कि अशिक्षित आदिवासियों व वनवासियों के भोलेपन व अज्ञानता का फायदा उठाकर सर्वे कार्य में लगे अधिकारी व कर्मचारियों ने भूमि को अपने व रिश्तेदारों के नाम करा लिया। बभनी के जिला पंचायत सदस्य देव नारायण ने बताया कि अकेले बभनी ब्लाक के चकचपकी गांव की जांच कराई जाए तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे। यहां सर्वे कार्य में लगे कर्मचारियों ने भू-माफियाओं से सांठ-गांठ कर सैकड़ों एकड़ भूमि अपने व रिश्तेदारों के नाम कर उस पर कब्जा कर लिया।