वितरण व्यवस्था दुरुस्त हुए बगैर नहीं मिलेगी बिजली
जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : प्रदेश में बिजली की किल्लत केवल उत्पादन के कम होने की वजह से नहीं है। बल्कि खस्ताहाल बिजली व्यवस्था के पीछे वितरण व्यवस्था का ज्यादा योगदान है।
जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : प्रदेश में बिजली की किल्लत केवल उत्पादन के कम होने की वजह से नहीं है। बल्कि खस्ताहाल बिजली व्यवस्था के पीछे वितरण व्यवस्था का ज्यादा योगदान है। केवल अनपरा की बात करें तो यहां की चार तापीय परियोजना की इकाइयों से रोजाना लगभग 3400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। इसके साथ ही ओबरा में लगभग 500 मेगावाट बिजली बन रही है। वहीं रिहंद से बरसात के दिनों में 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। यानी प्रदेश में बिजली की औसत मांग 16000 मेगावाट का चौथाई हिस्सा ऊर्जांचल ही दे रहा है। इसके अलावा प्रदेश की अन्य बिजली परियोजनाओं को जोड़ दें तो 11000 मेगावाट बिजली प्रदेश सरकार को उपलब्ध है। इसके बाद 5000 मेगावाट बिजली केंद्र से खरीदती जाती है। बावजूद इसके अगर बिजली संकट दिनों दिन गहराता जा रहा है तो इसके पीछे वितरण व्यवस्था बड़ा कारण है।
लगभग प्रदेश के हर क्षेत्र में वितरण व्यवस्था चरमरा चुकी है। कई जगहों पर तो हाइटेंशन तार भी जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं। नई पारेषण लाइनों का निर्माण भी बेहद सुस्त गति से चल रहा है। आलम यह है कि अनपरा-डी से उत्पादन शुरू हुए तीन साल बीत जाने के बाद भी डीटीपीएस उन्नाव पारेषण लाइन का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो सका है। कमोवेश यही स्थिति अन्य सभी नई लाइनों की है।
अनपरा-डी से उन्नाव को जाने वाली नई पारेषण लाइन को पूरा होने में अभी कितना समय लगेगा, इस बाबत कोई भी अधिकारी सटीक जवाब देने की स्थिति में नहीं है। दरअसल पहले इस लाइन को सीधे अनपरा से उन्नाव जाना था लेकिन अब यह लाइन ओबरा होकर जाएगी। ओबरा द्वारा सरकार नया प्लांट लगाया जा रहा है जिसकी बिजली भी इसी लाइन से ले जाने की योजना है। ऐसे में अब जब तक ओबरा पावर प्लांट का निर्माण नहीं हो जाता, इस लाइन को भी पूरा नहीं किया जा सकेगा।
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वितरण में सात से दस प्रतिशत की हानि मानी जाती है, कई बार यह तारों की स्थिति पर भी निर्भर करता है। अनपरा से उन्नाव लाइन का निर्माण चल रहा है। अब इस लाइन में ओबरा परियोजना को भी जोड़ दिया गया है, ऐसे में अभी इस लाइन के बनने में और भी समय लग सकता है। उम्मीद है कि यह लाइन एक से दो साल में पूरी हो जाएगी।
-रामजन्म यादव, अनपरा तापीय परियोजना।