चालक कर्जदार, नमक-रोटी के लिए भी मुहाल
सोनभद्र चालक कर्जदार नमक-रोटी के मुहाल।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिले में संचालित 108 व 102 नंबर एंबुलेंस कर्मियों को तीन माह से वेतन न मिलने से वे तंगहाली से गुजर रहे हैं। खुद का पेट भरने के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ रहा, परिवार को चलाना मुश्किल हो गया है। फीस जमा न होने से बच्चों का नाम काटने की स्कूल प्रशासन की तरफ से लगातार चेतावनी मिल रही है। इस वजह से उन्हें कई तरह की जलालत झेलनी पड़ रहीं है।
जिले में 108 व 102 एंबुलेंस की संख्या क्रमश: 24 व 22 है। इन एंबुलेंसों पर कुल 200 कर्मियों की तैनाती हुईं है। जिसमें सौ चालक हैं तो और उतनी ही संख्या में ईएमटी। तीन माह से वेतन न मिलने से वे सड़क पर आ गए हैं। घर के बाहर रहकर रोजगार करने वाले इन कर्मियों को पेट भरना मुश्किल भरा हो गया। कर्ज लेकर किसी तरह पेट भरने वाले इन कर्मियों को अब कोई कर्ज देने को भी तैयार नहीं है। उनके घर के हालात भी डगमगा गए हैं। बच्चों की फीस जमा न होने से उनका नाम काटने की चेतावनी मिल रही है। कर्ज न मिलने से विपरीत परिस्थितियों में वे अपने परिवार वालों का उपचार भी नहीं करा पा रहे हैं। जिला अस्पताल में खुद की दास्तान पेश करते समय इन कर्मियों की आंखें छलछला आई।
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क्या बोले संबंधित लोग
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- तीन माह से वेतन न मिलने से परिवार के लोग नाराज है। हर दिन फोन आ रहा है लेकिन, मजबूरी जो है। उधार जहां-जहां से लिया था वे तकादा करने घर पर पहुंचने लगे हैं। जिन लोगों से कर्ज लिए है, उनके मुंह छिपा कर फिरना पड़ रहा है।
- अनिल कुशवाहा - प्रतिदिन केस क्लोज कराया जाता था, तभी उनका वेतन बनता था लेकिन, जब से वेतन नहीं मिल रहे कर्मचारी केस क्लोज नहीं करा रहे। उनका कहना है कि वेतन मिलने के बाद ही केस क्लोजिग कराई जाएगी।
- धीरेंद्र कुमार दुबे - वेतन न मिलने से कभी ऐसा नहीं किया गया कि रोगी को नहीं ले गए। वेतन न मिलने के बावजूद वे कार्य में लापरवाही नहीं बरतेंगे। सरकार को वेतन दिलाने के लिए निजी कंपनी पर दबाव बनाना चाहिए।
- शशांक पांडेय
- खुद पेट भरने के लिए रुपये नहीं है। परिवार को कहां से रुपये भेजें। बच्चों का नाम काटने की धमकी संबंधित स्कूल प्रशासन द्वारा दी जा रही है। जल्द फीस जमा करने के आश्वासन पर नाम नहीं कटा है।
- भरत पाल - जिन शर्तों पर उनकी तैनाती की गई है कंपनी उन शर्तों को मान नहीं रही है। सरकार को बीच बचाव कर हम कर्मियों का वेतन दिलाने का रास्ता साफ करना चाहिए।
- शिवशंकर मौर्या - कर्ज काफी लग गया है। अब कोई कर्ज देने को भी तैयार नहीं है। समझ में नहीं आ रहा है कि अपना व परिवार का पेट कैसे भरें। कार्य का मूल्य ही नहीं मिल रहा है।
- जगरनाथ
- दो बच्चे जानसन व कुनाल है। जानसन नर्सरी व कुनाल यूकेजी में पढ़ता है। दोनों की फीस तीन माह से जमा नहीं हुई है। स्कूल प्रबंधक ने नाम काटने की चेतावनी दी है।
- विनय कुमार - यदि कुछ दिन में बकाया वेतन नहीं मिला तो काम छोड़ना पड़ेगा। दरअसल परिवार के लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। इससे बढि़या तो घर बैठे रहते तो परिवार वाले को संतुष्टि मिलती।
- सुनील यादव