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डबल लाकर में कैद है ज्ञान का भंडार

बात उत्कृष्ट शिक्षा की होती तो खूब है, किन्तु पिछड़े क्षेत्रों में इसकी जमीनी हकीकत इससे परे होती है। विद्यार्थियों को प्रवेश देते वक्त सुविधाओं के संबंधित फीस भी वसूला जाता है, किन्तु उसका लाभ कितना विद्यार्थियों को मिलता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 09:31 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 09:31 PM (IST)
डबल लाकर में कैद है ज्ञान का भंडार
डबल लाकर में कैद है ज्ञान का भंडार

जागरण संवाददाता, दुद्धी (सोनभद्र) : बात उत्कृष्ट शिक्षा की होती तो खूब है लेकिन पिछड़े क्षेत्रों में इसकी जमीनी हकीकत इससे परे होती है। विद्यार्थियों को प्रवेश देते वक्त सुविधाओं के संबंधित फीस भी वसूला जाती है लेकिन उसका लाभ कितना विद्यार्थियों को मिलता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुद्धी तहसील क्षेत्र के इकलौते पीजी कालेज के पुस्तकालय कक्ष पर करीब दो दशक से ताला लटक रहा है। कभी विद्यार्थियों के लिए खुला ही नहीं है। किताबों को किसी फरिश्ते का इंतजार है। जो आएगा और उन्हें बाहर निकालेगा।

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बताते हैं कि भाऊराव देवरस राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में नब्बे के दशक में तैनात लाइब्रेरियन की मौत के बाद इस पर ताला लगा दिया गया। इसमें बंद किताबों का चार्ज लेने की जहमत न तो कोई ले रहा है और ना ही महाविद्यालय प्रशासन द्वारा उसे किसी को दिया जा रहा है। डेढ़ दशक पूर्व इसको लेकर काफी हो हल्ला मचा तो तत्कालीन प्राचार्य ने एक टीम गठित कर पुस्तकालय का ताला तोड़वाने के बाद उस वक्त मौजूद किताबों की सूची बनवाई। इसके बाद उसे उसी तरह सुरक्षित रखवा कर उस पर डबल ताला लगवा कर सील करा दिया। तब से अब तक उस कक्ष को वर्ष में एकाधबार साफ सफाई के लिए निगरानी समिति के सामने खोला जाता है। पुस्तकालय में स्नातक प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष की किताबों के अलावा कहानी और प्रतियोगी परीक्षाओं से भी संबंधित पुस्तकें मौजूद है। कालेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की मानें तो जब से प्रवेश हुआ है। उन्हें यहां पुस्तकालय होने की कोई जानकारी ही नहीं है। जब कभी पुस्तक आदि की चर्चा होती है तो शिक्षक नेट पर सर्च करने की सलाह देते है जबकि उनसे फीस जमा कराई गई है। लाइब्रेरियन के अभाव में बंद है पुस्तकालय

इस बाबत महाविद्यालय के चीफ प्राक्टर डा. रामजीत यादव ने बताया कि लाइब्रेरियन के अभाव में बीते कई सालों से पुस्तकालय बंद है। जब तक उस पद पर शासनादेश के तहत नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक उसे बंद रखने का निर्देश है। साल में दो बार पुस्तकालय का ताला निगरानी समिति के मौजूदगी में खोला जाता है। उस की साफ सफाई करने के बाद फिर बंद कर दिया जाता है।


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