उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य देकर सर्वमंगल की कामना
तालाब, पोखरों, बांधों व नहरों के किनारे बुधवार को पौ फटते ही जयकारे से गूंज उठे। इस दौरान घाटों पर आस्था, भक्ति व भारतीय संस्कृति की अनुपम छटां देखने को मिली। मौका था भगवान भाष्कर के उपासना के महापर्व छठ पूजा के समापन पर अर्घ्य देने का। अलसुबह से ही यहां व्रती महिलाओं के आने का क्रम शुरू हो गया था।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : सूर्योपासना के चार दिवसीय महापर्व डाला छठ का उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के साथ बुधवार की सुबह समापन हो गया। उगते हुए भगवान भाष्कर को व्रतियों ने पानी में खड़े होकर जलता दीप दिखाया और मनोकामना सिद्धि के लिए प्रार्थना की। छठ को लेकर शहर से लेकर गांव तक उत्सव व मेले जैसा माहौल रहा। घाटों पर बच्चों ने जमकर आतिशबाजी भी की। छठी मइया के पारंपरिक गीतों से जलाशयों का किनारा गुंजायमान रहा।
राबर्ट्सगंज नगर के रामसरोवर सहित अन्य तालाबों व नदियों के किनारों पर उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के लिए भोर में चार बजे से ही उपासक पहुंचने लगे थे। इस दौरान अर्घ्य की तैयारी भी शुरू कर दी गई थी। यही हाल मेहुड़ी नहर, पुसौली व बढ़ौली सहित अकड़हवा पोखरे पर भी रहा। बढ़ौली गांव में स्थित तालाब पर पूरी रात उत्सव का माहौल रहा। लोगों ने छठ पूजा के दौरान सेल्फी ली और बच्चों ने आतिशबाजी भी की। प्रसाद लेने को रहे लालायित
सूर्यषष्ठी के महापर्व के समापन पर व्रती महिलाओं ने लोगों को प्रसाद बांटा। छठ घाट पर पहुंचे लोग प्रसाद पाने के लिए लालायित दिखे। छोटे बच्चे कभी इस घाट तो कभी उस घाट पर पहुंचकर प्रसाद लेने के लिए मंडराते रहे। छठ पूजा करने वालों ने भी इनकी इच्छा देखकर इन्हें पर्याप्त प्रसाद दिया। इसके बाद लोगों ने घरों तक भी प्रसाद भिजवाया।