पुरानी इकाइयों में एफजीडीएस में हो रही देरी
------------------------ जागरण संवाददाता ओबरा (सोनभद्र) पर्यावरण संबंधी नियमों के कारण 2
------------------------ जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : पर्यावरण संबंधी नियमों के कारण 25 वर्ष से पुरानी बिजली इकाइयों को बंद करने की योजना के कारण उत्पादन निगम की कई इकाइयों पर तलवार लटकी हुई है। फिलहाल निगम द्वारा इकाइयों को बचाने की कई योजना पर काम किया जा रहा है। हालांकि कोरोना संकट के बीच पर्यावरण संबंधी योजनाओं में शिथिलता दिखायी पड़ रही है।
पर्यावरण के नए मापदंडों के अनुसार 25 साल से अधिक पुरानी कोयला आधारित बिजली इकाइयों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडीएस) प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, अन्यथा इन बिजली घरों को बंद करना पड़ेगा। पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रदूषण मानकों पर खरा नहीं उतर पाने के कारण उत्पादन निगम की आधा दर्जन से ज्यादा इकाइयों को हमेशा के लिए बंद करना पड़ा था। निगम की ज्यादातर इकाइयों से पैदा होने वाली बिजली के काफी सस्ता होने को देखते हुए पुरानी इकाइयों को बचाने के लिए पिछले वर्ष से ही कई योजना पर कार्य चल रहा है। योजना के तहत ओबरा परियोजना की 200 मेगावाट वाली पांच इकाईयों। अनपरा की 210 मेगावाट की तीन एवं 500 मेगावाट की दो इकाइयों सहित हरदुआगंज की इकाइयों में एफजीडीएस प्रणाली स्थापित की जानी है। हालांकि अभी निगम मुख्यालय स्तर पर सभी प्रस्ताव विचाराधीन हैं। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देश पर उत्पादन निगम ने अनपरा अ तापघर की 210 मेगावाट वाली तीन इकाइयों और ब तापघर की 500 मेगावाट वाली दो इकाइयों में एफजीडी की स्थापना एवं परामर्शी सेवा पर होने वाले व्यय 873.38 करोड़ रुपये की कार्य योजना का अनुमोदन प्रदान किया था। उक्त कार्ययोजना की लागत 873.38 करोड़ रुपये के 70 प्रतिशत 617.37 करोड़ रुपये का प्रबंध संस्थागत वित्त से तथा 30 प्रतिशत 262.01 करोड़ रुपये की राशि शासकीय पूंजी से वित्तपोषित किए जाने का अनुमोदन प्रदान किया था। इसी के तहत प्रदेश सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में अपने हिस्से के तौर पर 200 करोड़ की व्यवस्था की है। इसके अलावा अनपरा तापघर की 210 मेगावाट वाली तीन इकाइयों और ब तापघर की 500 मेगावाट वाली दो इकाइयों में ईएसपी रेट्रोफीटिग (इलेक्ट्रो स्टैटिक प्रोसेसर रेट्रोफीटिग) के लिए 237 करोड़ की कार्य योजना को स्वीकृति दी गयी थी। इस योजना के लिए भी योगी सरकार ने बजट में अंश पूजी के तौर पर 70 करोड़ की व्यवस्था की है। चीन से विवाद से भी हो रही देरी पुरानी इकाइयों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन प्रणाली लगाने के लिए लगभग दो हजार करोड़ रुपये के लगभग खर्च होना है। इस प्रणाली में चीन की तकनीकी का काफी बोलबाला रहा है। चीन से हुए विवाद से पहले एफजीडीएस प्रणाली स्थापित करने को लेकर तेजी थी। शासन द्वारा अपने हिस्से की पूंजी भी बजट में दे दी थी, लेकिन चीन विवाद के बाद पड़े दबाव ने इस प्रक्रिया में बाधा पैदा की है। अब विवाद को देखते हुए नए सिरे से इसपर विचार चल रहा है। इसके कारण पुरानी इकाइयों में एफजीडीएस प्रणाली विकसित करने में देरी की संभावना है।
ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन ई. शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि 12वीं पंच वर्षीय योजना के अंत तक चीन से आयातित पावर प्लांट की कुल क्षमता 61371 मेगावाट है, जिसमें निजी घरानों ने 58937 मेगावाट के प्लांट चीन से लिये। इनकी अनुमानित लागत लगभग छह लाख करोड़ रुपये है। -पर्यावरण संबंधी मापदंडों को देखते हुए ओबरा की इकाइयों में एफजीडीएस प्रणाली स्थापित की जानी है। फिलहाल इसको लेकर निगम मुख्यालय पर प्रस्ताव विचाराधीन है। -ई. आरपी सक्सेना, सीजीएम, ओबरा।