घर वापसी का नहीं थम रहा सिलसिला, नहीं मिला साधन तो चल पड़े पैदल
कोरोना वायरस से बचाव व सुरक्षा के मददेनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की गई है। गैर जनपदों में काम कर रहे मजदूरों के घर वापसी का सिलसिला थम नहीं रहा है। वाहन नहीं मिलने के बावजूद लोग मजबूरन पैदल साइकल या बाइक से ही अपने घर को लौट रहे हैं। रविवार को मेजा से आरा गया और बक्सर कर लिए साइकिल से ही एनटीपीसी मेजा के श्रमिक जाते दिखे तो वहीं मड़िहान के कलवारी बाजार में प्रयागराज से पैदल ही चितरंगी (मध्य प्रदेश) जा रहे दिहाड़ी मजदूर भूख प्यास पहुंचे। स्थानीय लोगों द्वारा यथा संभव मदद करते हुए भोजन सामग्री मुहैया कराया गया।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : कोरोना वायरस से बचाव व सुरक्षा के मददेनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की गई है। गैर जनपदों में काम कर रहे मजदूरों के घर वापसी का सिलसिला थम नहीं रहा है। वाहन नहीं मिलने के बावजूद लोग मजबूरन पैदल, साइकल या बाइक से ही अपने घर को लौट रहे हैं। रविवार को मेजा से आरा गया और बक्सर कर लिए साइकिल से ही एनटीपीसी मेजा के श्रमिक जाते दिखे तो वहीं मड़िहान के कलवारी बाजार में प्रयागराज से पैदल ही चितरंगी (मध्य प्रदेश) जा रहे दिहाड़ी मजदूर भूख प्यास पहुंचे। स्थानीय लोगों द्वारा यथा संभव मदद करते हुए भोजन सामग्री मुहैया कराया गया।
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साइकिल पर सवार होकर ही नापने लगे चार सौ किमी डगर
- लॉकडाउन में रोजाना दिख रहे मन को विचलित करने वाले ²श्य
चुनार (मीरजापुर) : कोरोना वायरस से बचाव की खातिर पूरे देश को लॉकडाउन करने के बाद सड़कों पर रोजाना कई विचलित करने वाले ²श्य देखने को मिल रहे हैं। इनमें से पैदल और साइकिल से सैकड़ों किलोमीटर की दूरी नापने वालों को देखकर स्थितियों की विकटता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। लाक डाउन के बाद सब काम धंधे भी बंद हो गए हैं। इससे ऐसे लोगों पर रोजगार और रोजी-रोटी का संकट आ गया है, जो अपने घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर काम करने के लिए गए थे। लॉकडाउन के बाद आगे की भयावह स्थितियों को भांप कर अब यह लोग घरों के लिए वापस हो रहे हैं। घर जाने के लिए साधन कोई है नहीं, वाहन चल नहीं रहे ऐसे में कुछ पैदल तो कुछ लोगों ने साइकिलों पर सवार होकर घर की डगर को नापना शुरू कर दिया है।
रविवार को नेशनल हाइवे नंबर सात पर 6 साइकिल सवार अपनी साइकिलों के पैडल जोर जोर से मारते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। कैरियर पर बंधे बैग ये बताने के लिए काफी थे कि ये कहीं न कहीं दूर से आ रहे हैं और इनकी जल्दबाजी भी ये जता रही थी कि जाना भी दूर ही है। इन्हें जब रोक कर पूछा गया तो सभी ने बताया कि सभी बिहार के आरा, बक्सर व गया के निवासी हैं। प्रयागराज के मेजा एनटीपीसी में ठेकेदार के अंडर में बतौर श्रमिक काम करते हैं। प्लांट बंद होने के बाद ठेकेदार द्वारा कोई सुविधा नहीं मुहैया कराई गई और घर जाने को कह दिया गया। आरा के सुरेश ठाकुर व राजू ठाकुर, गया के विनय कुमार, बक्सर के विनोद कुमार और सुनील तथा गया के राजेश ने बताया कि काम बंद होने के चलते उनके पास जो पैसा था, वह खत्म हो गया था और खाने पीने का सामान भी खत्म हो गया था तो उनके भूखे मरने की नौबत आ गई थी। चूंकि कोई भी वाहन नहीं चल रहा है, लिहाजा घर तक का सफर उन्हें साइकिल पर ही तय करना पड़ रहा है।
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एनटीपीसी मेजा के दर्जनों कामगार पैदल झारखंड रवाना
पटेहरा : प्रयागराज जनपद में मेजा तहसील स्थित कोहड़ार घाट में एनटीपीसी से जंगल के रास्ते मांडा, कोरांव, लालगंज, दुबार, दीपनगर, पटेहरा होते मड़िहान से दर्जनों कामगारों जा रहे हैं, इनकी हालत खराब है। इनके अनुसार रास्ते में दुकान बंद मिली जेब भी खाली हो गयी है। घर पर बच्चे और घरवाली रो रही है। बिहार के ठेकेदार ने भी कोई मदद नहीं किया। हैंडपंप देखते वही रुक कर प्यास बुझाते चले आ रहे है। कामगार मैनुद्दीन अंसारी, करामत, भीखू साव, संतोष गुप्ता, राम कुमार, गोपाल सिंह, कलाम अंसारी, मुर्शिद हुसैन अली, ललित सिंह, पप्पू और अजय ने अपनी आप बीती बताई।
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पैदल आने जाने वाले दिहाड़ी मजदूरों का सिलसिला जारी
कलवारी (मीरजापुर) : स्थानीय थाना क्षेत्र मड़िहान के ग्राम सभा कलवारी बाजार में प्रयागराज से चितरंगी (मध्य प्रदेश) पैदल आते हुए दिहाड़ी मजदूर भूख प्यासे से परेशान थे। नेहरू युवा मंडल के एनवाईवी अरसद खान, पंकज कुमार द्वारा लाई का पैकेट दिया गया। आलू विक्रेता आशा देवी ने खाने-पीने की समुचित व्यवस्था किया। मध्य प्रदेश के चितरंगी गांव निवासी ममता 30 वर्ष, उर्मिला 32 वर्ष, सोनम 30 वर्ष,बबलू 28 वर्ष, सोनू 32 वर्ष, पंडित 26 वर्ष, फुल देवी 40 वर्ष और छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल है।